Wednesday 14 February 2024

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम (मेरी पहली हॉस्पिटल यात्रा और वह भी दिल के रोग के कारण ) ———————- दिसम्बर माह में जैसे ही सर्दी की शुरुआत हुई ,तो एक दिन प्रातः रनिंग में साँस लेने में कठिनाई आई ।तीन चार दिन निरंतर कठिनाई पर फिज़िशियन को दिखाई तो उन्होंने भेज दिया दिल के डाक्टर के पास ।हम पूरी तरह से आश्वस्त थे कि हम तो वैसे ही पत्थर दिल हैं भला हमारे दिल में किसी को क्या मिलेगा ।लेकिन श्रीमती के आदेश पर तुरन्त दिल के डॉक्टर के पास गये तो उन्होंने कुछ जाँच की और घोषित कर दिया कि हमें जरुर दिल का रोग है ।हमारे साथ ही श्रीमती जी को भी विश्वास नहीं हुआ ,क्योंकि 65 की उम्र में भला हम क्यों दिल का रोग लगायेंगे।लेकिन डॉक्टर ने कह दिया कि एंजियोग्राफी करानी होगी ओर सम्भव है दिल का ट्रेफिक जाम हो ।जिसके लिये स्टेंट डाले जा सकते हैं ।हमारा भी मन नहीं माना और एक महीने की दवा लेकर वहाँ से घर का रास्ता नापा । घर आने पर कुछ दिन दवा ली लेकिन छोटे बेटे को मालूम हुआ तो तुरन्त कोटा आया और माँ बेटे ने भाईसाहब के बड़े बेटे डा उदय से मिलकर न जाने क्या खिचड़ी पकाई कि नो जनवरी को जैसे ही मैं अपनाघर आश्रम से आवश्यक कार्य सम्पन्न कर आया तो आदेश हुआ कि जयपुर चलो ।मैंने समझना भी चाहा कि क्या जरूरत है लेकिन आखिर सेकण्ड ओपिनियन के लिए जयपुर के लिए रवाना हो गये और डॉक्टर को दिखाया तो जाँच के बाद तुरन्त भर्ती होने के आदेश देते हुए उन्होंने भी एंजियोग्राफी का फरमान जारी किया । अब भला हम भी क्या करते सभी की सलाह पर पहली बार किसी हॉस्पिटल में भर्ती होने का आनन्द लेने के लिए हम भर्ती हो ही गए ।हमें अभी भी विश्वास था कि हमारे दिल का ट्रेफिक बिल्कुल साफ मिलेगा और थोड़ी देर में डॉक्टर भी कहेंगे कि सब ठीक है बिल का भुगतान करो और घर जाकर आराम करो ।पूरे विश्वास से भरे हम कैथलैब में भी पहुँच गए ।टेबल पर लिटा कर चारों ओर से हमें डॉक्टर और उनके स्टाफ ने घेर लिया था ।एक हाथ टेबल के साथ कसकर टेप से बांध दिया हालाँकि हमारा वहाँ से भागने का इरादा नहीं था लेकिन शायद उन्हें विश्वास नहीं था । कुछ देर में ही बड़े से टी वी स्क्रीन पर कुछ हलचल हुई और तार नुमा कुछ इधर उधर दौडा और डॉक्टर हमें वहीं छोड़ दूसरे कमरे में चले गये ।काँच से दूसरे कमरे में देखा की डॉक्टर ,श्रीमती जी और बेटे को कंप्यूटर पर कुछ देखा रहे हैं ।हमने भी तुरन्त मौक़ा देख कर उनके सहायक से पूछ ही लिया कि सब ठीक ही है ?सारा ट्रेफिक क्लियर है? लेकिन उनके जबाब ने हमारे अरमानों पर पानी फेर दिया ।उन्होंने बताया कि आपके दिल के तो सारे रास्ते ही बंद है तीनों आर्टरी बंद हैं एक 99%. तो दूसरी90% और तीसरी के भी हालात ठीक नहीं हैं ।हमें कुछ विश्वास नहीं हुआ क्योंकि निरन्तर रनिंग के बाद भी भला इस तरह सारे रास्ते जाम कैसे हो सकते हैं ।इसलिए हमने तुरन्त सवाल दागा कि इतने ही ब्लॉकेज हैं तो मैं चल कैसे रहा हूँ ? इसपर उनका था कि ज़रूर लोगों की दुआएँ आपके साथ हैं वर्ना ऐसी स्थिति में लोग स्वयं चल कर नहीं आते उन्हें लाया जाता है । खैर अब हम भी क्या करा सकते थे डॉक्टर को जो करना था किया ।बाद में हमें मालूम हुआ कि फिलहाल 99% ट्रेफिक जाम वाली आर्टरी में दो स्टेंट डालकर रक्तप्रवाह प्रारम्भ कर दिया है ।चोबीस घण्टे ICU में रहने के बाद घर आये तो मालूम हुया की स्थिति तो बायपास सर्जरी की थी जिसे स्टेंट डालकर पूरा कर दिया ।अब शेष दो आर्टरी का रक्त प्रवाह शुरू कराने के लिए पच्चीस दिन बाद 06/02/24 को एक बार फिर से हमें उसी ऑपरेशन टेबल पर पहुँचा दिया गया । हम बड़े इत्मीनान से टेबल पर लेट गए ,बिना किसी भय के ,क्योंकि पिछली बार ऑपरेशन जैसा कुछ अहसास भी नहीं हुआ था इसलिए भला अब हमें किस बात का डर । फिर से टी वी स्क्रीन पर एक तार नुमा औजार की हलचल हुई लेकिन इस बार थोड़ी देर बाद ही लगा की किसने सीने में सुई चुभो दी ।दर्द बड़ा असहनीय लगा ।इस बार सच में हमें लगा कि शायद आज की जो हमारी स्थिति है उसी को ‘दिन में तारे दिखना ‘कहते हैं। तीन बार हम बड़ी असहनीय स्थिति से गुज़रे थे ।लगा कि आज तो निश्चित रूप से हम ऊपर वाले से मिलने चले जाएँगे ।लेकिन हमें इस बात का संतोष था दोनों बेटे और बहुएँ भी यहीं हैं और श्रीमती जी तो हैं ही … यदि बेटे बहू इस समय अमेरिका में ही होते तो ….लेकिन तभी हमें याद आया कि हमारी हस्तरेखा में बहुत लम्बी उम्र लिखी है तो भला हम अभी लोक परलोक की बातें क्यों सोचें?इस तरह ,इस बार लगभग डेढ़ घण्टे का समय ऑपरेशन टेबल पर निकलना पड़ा ।अब ICU में वापस बेड पर पहुँचने पर हमें विश्वास हो गया कि हम अभी इसी लोक में हैं ।सब ठीक हो गया है ।बाद में मालूम हुआ कि इस बार की आर्टरी बहुत सख्त जान थी शायद मेरी तरह ।लेकिन डॉक्टर ऋषभ माथुर ने बड़ी कुशलता और सहजता से हमारे दिल को ट्रेफिक जाम से मुक्ति दिला ही दी ।इसीलिए तो आज मैं अपना हाल ए दिल आपके सामने लिख रहा हूँ । डा योगेन्द्र मणि कौशिक 14/02/2023

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दिल का हो गया ट्रेफिक जाम (मेरी पहली हॉस्पिटल यात्रा और वह भी दिल के रोग के कारण ) ———————- दिसम्बर माह में जैसे ही सर्दी की शु...