Saturday, 5 July 2025

7.बिक्सबी क्रीक ब्रिज,गुगलप्लेक्स (अमेरिका यात्रा 2)

आज हमारा बिक्सबी ब्रिज जाने का कार्यक्रम बना।बिक्सीबी ब्रिज, जिसे **बिक्सबी क्रीक ब्रिज** के नाम से भी जाना जाता है , कैलिफोर्निया के बिग सुर तट पर स्थित है।यह बहुत ही सुंदर पुल कहलाता है,इसलिए यह कैलिफोर्निया में सबसे अधिक फ़ोटो खीचें जाने वाला पुल भी है ।यह एक कंक्रीट ओपन-स्पैंड्रल आर्च ब्रीज है।यह सैन फ्रांसिस्को से 120मील दक्षिण में कैलिफोर्निया स्टेट हाईवे पर मोटेरा काउंटी में है।हम सुबह लगभग नो बजे यहाँ के लिए रवाना हो गए थे।आज भी हम सांताक्रूज़ वाले रास्ते से ही गए।संता क्रूज़ के कुछ आगे से यह क्षेत्र प्रारंभ हो जाता है।वास्तव में यह क्षेत्र समुद्री किनारे की एक ऐसी सड़क है जिससे विभिन्न स्थानों पर समुद्री लहरों के अलग अलग दृश्य देखने को मिलते हैं। रास्ते में पफ़ीफ़र ( pfeiffer )बिग सुर पार्क है जो की एक बहुत बड़ा वन क्षेत्र ही है।रास्ते में दोपहर के समय एक पार्क में हम कुछ देर रुके और दोपहर का भोजन भी किया।यहाँ पर पूरे रास्ते एक तरफ़ समुद्र की लहरें और दूसरी तरफ़ पहाड़ियाँ है।इधर सड़क की चौड़ाई अन्य सड़कों की अपेक्षा कम है फिर भी इतनी थी कि आमने सामने से वाहन आ जा सकते हैं।लेकिन एक स्थान पर जहाँ वास्तव में यह ब्रिज है वहाँ पर पहले ही रेड लाइट लगाकर एक तरफा रास्ता ही चलू था।हमने देखा कि यहाँ पर दोनों तरफ़ से बारी -बारी से वाहन छोड़े जा रहे हैं।बिक्सीबी ब्रिज वास्तव में एक समुद्री घाटी के ऊपर से दो पहाड़ियों को आपस में जोड़ता है जब यह बना था तो उस समय यह दुनिया का सबसे ऊँचा सिंगल स्पैन ब्रिज था।यह 1932 में बनाया गया था।
यहाँ पर सड़क के किनारे कई स्थानों पर फोटो खींचने और समुद्री लहरों की अठखेलियों को देखने के लिए जगह जगह रूकने के लिए कुछ स्थान भी बनाये गयें हैं,जहाँ पर पर्यटक,समुद्र के साफ़ नीले पानी में उठती लहरों को देर तक निहारते हुए देखे जा सकते हैं।हम भी कई स्थानों पर रुके और सुंदर दृश्यों को अपने मोबाइल के कैमरे में क़ैद किया।लेकिन यहाँ कार से बाहर निकलते ही तेज ठंडी हवाओं का सामना करता है।तेज धूप के बाद भी बाहर बहुत ठंडी हवा थी।अधिक देर हम बाहर नहीं रुक पा रहे थे।कहीं कहीं नीले पाने के अंदर से कुछ चट्टाने ऊपर झाँक रही थी जैसे ये भी यहाँ आने वाले पर्यटकों को देखने का प्रयास कर रही हों।काफ़ी समय यहाँ घूमने के बाद हम वापसी के लिए चल दिए।यहाँ सिलिकॉन वैली में ही गूगल का भी मुख्यालय है,इसलिए हमने वहाँ जाने का विचार बनाया। वापसी में लगभग सायं के साढ़े पाँच बजे हम गूगलप्लेक्स पहुँच गए।वैसे तो यहाँ सिलिकॉन वैली में ही अधिकांश आई टी कंपनियों के मुख्यालय हैं जैसे ऐपल,माइक्रोसॉफ्ट,नेटफ़्लिक्स,टेस्ला,मेटा (फेसबुक),गूगल आदि।हम मेटा और ऐपल के कार्यालयों पर पहले ही जा चुके थे अब गूगल के परिसर में जाने का विचार बनाया।गूगल का मुख्यालय भी बहुत ही बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।हमने देखा कि कर्मचारियों के लिए यहाँ पर भी मेटा की तरह ही साइकिल की व्यवस्था थी।वे अपना वाहन निर्धारित पार्किंग में खड़ा करके वहाँ से साइकिल द्वारा अपने निश्चित ऑफिस तक जा सकते हैं। इस परिसर में आगंतुकों के लिए भी अलग निशुल्क पार्किंग की व्यस्त है।यहाँ पर निशुल्क पार्किंग मिलना भी अपने आप में बहुत बड़ी बात है क्योंकि सड़क के किनारे पार्किंग के लिए भी अलग अलग स्थानों पर दस से पच्चीस डॉलर तक का भुगतान करना पड़ता है।यह भुगतान सभी जगह ऑनलाइन ही होता है।प्राय:सड़क के किनारे जहाँ भी पार्किंग होती है एक QR कॉड लगा रहता है जिसपर आप भुगतान करते हैं।कहीं भी कोई अतिरिक्त कर्मचारी किसी भी पार्किंग स्थान पर आपको नहीं मिलेगा।वैसे तो यहाँ पर सभी शहरों में मजदूर वर्ग की काफ़ी कमी है जिसके कारण मज़दूर बहुत ही महंगे रेट में घंटे के हिसाब से मजदूरी पर आते हैं।प्राय: सभ स्थानों पर सभी कार्य स्वयं ही करना पड़ता है।पेट्रोल पंप पर पेट्रोल तक आप स्वयं भरें और ऑनलाइन पेमेंट कर दें।
गूगल के परिसर में साइकिल के अतिरिक्त इलेक्टिक बसें भी कर्मचारियों के लिए लगी हुई हैं।हमारे वहाँ पहुचने के समय ऑफिस की छुट्टी का समय था अत: कुछ लोग अपना काम करके घर जाने के लिए तैयार थे। वहाँ पर एक स्थान पर गूगल स्टोर भी है जहाँ से आप गूगल के उत्पादन ख़रीद सकते हैं।उसके पास ही एक रेस्टोरेंट है जहाँ आप नास्ता,ठंडा,गर्म पेय आदि ले सकते हैं और कुछ पल आराम से यहाँ पर व्यतीत किए जा सकते हैं कुछ गूगल के कर्मचारी यहाँ अपने लैपटॉप पर काम भी कर रहे थे।यहाँ पर काम करने वाले लोगों को यह स्वतंत्रता है कि वह कहीं भी बैठकर काम कर सकता है।गूगलप्लेक्स 190,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।इस बहुत बड़े परिसर में आगंतुकों को केवल निश्चित स्थान तक ही पहुँचने की ही अनुमति रहती है।इधर उधर परिसर में कुछ यादगार फ़ोटो खिंचाने के बाद हम अब वहाँ से वापस घर की ओर चल दिए।आज हमारा यहाँ अंतिम दिन था।कल प्रात: हमें वापस सिएटल के लिए रवाना होना था क्योंकि हमें वापसी में भी एक दिन के लिए बीच में रात्रि विश्राम करके ही हमें सिएटल पहुंचना है।

Thursday, 3 July 2025

6. सांता क्रूज़ (अमेरिका यात्रा 2)

सांता क्रूज़ नाम का स्थान मुंबई में भी है लेकिन यह मुंबई नहीं कैलिफोर्निया का एक तटीय स्थान है।यहाँ पर विविध तरह की व्यापारिक गतिविधियों के साथ ही बहुत ही सुन्दर तट भी है।सांता क्रूज़ (स्पेनिश में "होली क्रॉस") उत्तरी कैलिफ़ोर्निया में स्थित सांता क्रूज़ काउंटी का सबसे बड़ा शहर और काउंटी सीट है। 2020 की जनगणना के अनुसार, शहर की आबादी 62,956 थी। मोंटेरे बे के उत्तरी किनारे पर स्थित यह शहर अपने समुद्र तटों, सर्फिंग संस्कृति और ऐतिहासिक स्थलों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। सांता क्रूज़ की स्थापना 1791 में फ़र्मिन डी लासुएन द्वारा मिशन सांता क्रूज़ के रूप में की गई। मिशन के पास ब्रांसिफ़ोर्ट नामक एक बस्ती विकसित हुई, जो अल्टा कैलिफ़ोर्निया में अपनी अव्यवस्था के लिए प्रसिद्ध हो गई। 1850 में कैलिफ़ोर्निया के अमेरिकी राज्य बनने के बाद, सांता क्रूज़ को 1866 में शहर का दर्जा मिला और 1876 में यह चार्टर सिटी बन गया। 1880 में दक्षिण प्रशांत तट रेलमार्ग के निर्माण और 1904 में सांता क्रूज़ बीच बोर्डवॉक की स्थापना ने इसे एक समुद्र तटीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया। 1965 में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सांता क्रूज़ की स्थापना ने इसे एक शैक्षणिक केंद्र भी बना दिया। हम 17 जून को दोपहर भोजन के बाद सैन फ्रांसिस्को में अपने निवास स्थान से यहाँ के लिए निकल लिए।सैन फ्रांसिस्को से सांता क्रूज़ की दूरी 76 मील है लेकिन हम सिलिकॉन सिटी में रुके थे यहाँ से लगभग 43 मील की दूरी पर यह स्थित है जिसमें एक घंटे की ड्राइव के बाद हम यहाँ तक पहुँचे।यहाँ इस समय मौसम अच्छा था।बहुत बड़े क्षेत्र में विविध तरह के झूले और तरह तरह के मनोरंजन के साधन वहाँ उपलब्ध हैं।चारों ओर रंगबिरंगी पोशाको में लोग स परिवार घूमते वहाँ मिले।हालांकि आज छुट्टी का दिन नहीं है,आज बुधवार है फिर भी अच्छी खासी भीड़ वहाँ थी।वहाँ एक गेम हाउस में हम भी अंदर गए जहाँ पर काफ़ी और नाश्ते के अतिरिक्त गोल्फ खेलने की व्यवस्था भी थी।हमने भी गोल्फ खेलने के लिए स्टिक और बॉल ली और उतार गए मैदान में,हालांकि हमें गोल्फ जैसे शाही खेल के विषय में कुछ भी जानकारी नहीं थी फिर भी हमने कोशिश कर इस खेल के अंतिम पड़ाव तक पहुँच ही गए। इस खेल में बीच में कई जगह नई नई तरह की बाधाएँ बना रखी थी जिन्हें पर करते हुए आगे बढ़ना था।इसमें सोलह पड़ाव के बाद अंतिम सत्रहवें पड़ाव को पार करने पर खेल समाप्त हुआ।खेल की समाप्ति पर लगा जैसे हमने बहुत बड़ी विजय प्राप्त कर ली हो।इसके बाद हम समुद्री तट पर पहुचे जहाँ हमने देखा कि कुछ स्त्री पुरुष और बच्चे समुद्र की लहरों में गोते लगा रहे हैं।कुछ लोग समुद्र किनारे की रेत में आराम से पड़े हैं और धूप स्नान कर रहे हैं।यहाँ पर धूप निकलने पर प्राय: लोग धूप का आनंद लेने के लिए समुद्र के किनारे पहुँचने लगते हैं।दूर कुछ लोग पानी पर सर्फिंग कर रहे थे।कुछ बोट भी पानी में इधर उधर दिखाई दे रही थी।हम भी समुद्र की लहरों का आनंद लेने की लिए पानी में थोड़ा आगे बढ़े तो पानी बहुत ही ठंडा लगा और लहरों को तेज़ी से हमारी तरफ़ आते देख कर तुरंत ही हम पानी से बाहर आ गए।यहाँ के लोगों को शायद यह पानी विशेष ठंडा नहीं लग रहा था इसीलिए छोटे छोटे बच्चे भी इस पानी में खेल रहे थे।कुछ देर बाद हम दूसरी तरफ़ बढ़े जहाँ पर विभिन्न तरह के झूले लगे हुए थे।कोई गोल घूमने वाले तो कुछ बहुत ही ऊँचाई तक जाने वाले झूले लगे हैं।इनके नाम भी अलग ही थे जैसे क्रेजी सर्फ,साइक्लोन,डबल शॉट,ड्रीम व्हील,फ्रीफॉल,घोस्ट ब्लास्टर्स,केव ट्रेन,लूफ़ कारौसेल आदि -आदि।हमने भी स्काई ग्लाइडर में बैठकर उसका आनंद लिया।यह एक तरह की केबल कार है जो एक तरफ़ से दूसरी तरड़ जाती जाती रहती है।कुछ देर घूमने के बाद अब वापस चलने की बड़ी थी रास्ते में कुछ देर तक कार को चार्ज किया और और अपने विश्राम स्थल की तरफ़ चल दिए।

Wednesday, 2 July 2025

लॉम्बार्ड स्ट्रीट,पीयर 39,स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी(अमेरिका यात्रा 2)

रात्रि विश्राम के बाद अब सैन फ्रांसिस्को में हमारा दूसरा दिन सोलह जून की सुबह हम सब आराम से सो कर उठे।प्रात: नाश्ते और फिर दोपहर के भोजन के बाद लगभग दोपहर को लगभग दो बजे हम घूमने के लिए निकल गए।सबसे पहले हमने लॉम्बार्ड स्ट्रीट जाने का कार्यक्रम बना।ललॉम्बार्ड स्ट्रीट,सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया में स्थित है, और इसे "दुनिया की सबसे टेढ़ी सड़क" के रूप में जाना जाता है|इसका अधिकांश पश्चिमी भाग यूएस रूट 101 का हिस्सा है। आप इस छोटी सी साँप की तरह टेढ़ी मेढ़ी घुमावदार सड़क से केवल नीचे की तरफ़ ड्राइव कर सकते हैं, ऊपर आने के इस गली का दूसरा सिरा अन्य सड़क से जुड़ा है जिसके माध्यम से वापस ऊपर आया जा सकता है ।हम भी यहाँ पहुचे और पहले इस छोटी से सड़क को अच्छी तरह देखा,इसकी लंबाई कोई अधिक नहीं है लेकिन यह एक घुमावदार रास्ता है जिसके दोनों तरफ़ लोगों के घर भी बने हुए हैं।सैन फ्रांसिस्को शहर बड़ा भीड़भाड़ वाला शहर है।यहाँ लोकल बस,ट्रेन और ट्राम भी चलती है।हर थोड़ी देर में लोकल बस दिखाई दे जाती है जबकि सिएटल में लोकल सिटी बस की संख्या अपेक्षाकृत कम है। यहाँ सड़कों पर ट्रेफिक देखकर भारत की सड़कों पर ट्र्फ़िक की याद आ गई।यह कैलिफोर्निया का चौथा सबसे बड़ा शहर है शहर की आबादी लगभग आठ लाख चौहत्तर लाख है जबकि पूरे महानगर की आबादी सैंतालीस लाख से अधिक है।मुख्य शहर जिसे यहाँ डाउन टाउन कहा जाता है,में हर स्थान पर कारों की लाइने लगी हुई रहती हैं।यह पूरा शहर प्रशांत महासागर के किनारे पर बसा है।इसकी बसावट भी पहाड़ी क्षेत्र की तरह कहीं ऊँचाई पर सड़क जाती है तो दूसरे ही पल सड़क नीचे की तरफ़ चली जाती है।लेकिन यहाँ की सड़कें चौड़ी और यातायात व्यवस्थित स्व अनुशासन से ही चलता रहता है।कहीं भी कोई ट्रफ़िक पुलिस वाला नज़र नहीं आया और कहीं भी जाम की स्थिति भी नहीं आई। लॉम्बार्ड स्ट्रीट के बाद वही पास ही “पियर 39” है।यह एक समुद्रतट बहुत बड़ा बाजार है।सैन फ्रांसिस्को के उत्तरी जल तट पर स्थित पियर 39 स्थित है, जो समृद्ध इतिहास, खूबसूरत वास्तुकला, और जीवंत सांस्कृतिक दृश्यों का एक अनूठा मेल है। 1905 में एक साधारण पियर के रूप में शुरू होकर, यह अब एक अद्वितीय सुंदर स्थान बन गया है, जो हर साल 15 मिलियन से अधिक आगंतुकों को आकर्षित करता है । प्रसिद्ध उद्यमी वॉरेन सिमन्स द्वारा निर्मित और 4 अक्टूबर 1978 को जनता के लिए खोले गए पियर 39 में खरीदारी, भोजन, मनोरंजन और अनेक तरह की दुकाने हैं।हम जब वहाँ पहुँचे तो देखा एक जादूगर अपने जादू से सभी का मनोरंजन कर रहा था।आसपास विविध तरह की खानपान की स्टॉल लगी है।कई दुकाने तरह तरह के कपड़ों की भी लगी हैं।समुद्र के तट पर हमने देखा कि अनगिनित सी लॉइन और सील मछलियाँ वहाँ बनाए गए लकड़ी के बहौत सारे प्लेटफार्म पर आराम कर रही थी।सी लॉइन ऑए सील लगभग एक जैसे ही दिखाइ देते हैं लेकिन वहाँ एक बोर्ड पर इन दोनों का अंतर लिखा था जिसमे लिखा था कि सी लॉइन के कान दिखाई देते हैं जबकि सील के कान दिखाई नहीं देते।कान के स्थान पर मात्र एक छेद होता है।हम कुछ देर वहाँ रुके लेकिन वहाँ पर अधिक समय तक नहीं रुका जा सकता क्योंकि इनके शरीर से एक विशेष बदबू आती है जिस कारण थोड़ी देर बाद ही हम वहाँ से हटकर बाजार का अवलोकन करने लगे।जहाँ से हमने कुछ टी शर्ट ली और वहाँ से आगे के लिए रवाना हो गए। यहाँ से हम अब
के लिए चल दिए।यूनिवर्सिटी पहुंचते पहुंचते हमे लगभग शाम के छ: बज गए थे ।यूनिवर्सिटी परिसर में पहुचा तो देखा बहुत ही बड़ा परिसर है।स्टैनफोर्ड की स्थापना एक संयुक्त राज्य के और कैलिफोर्निया के लेलेंड स्टैनफोर्ड द्वारा की गई थी, जिनकी पत्नी का नाम जेन स्टैनफोर्ड था। इसका नामकरण उनके एकमात्र बेटे लेलेंड स्टैनफोर्ड जूनियर के सम्मान में गया, जो अपने 16वें जन्मदिन से ठीक पहले मृत्यु को प्राप्त हो गया. उनके माता-पिता ने इस विश्वविद्यालय को अपने ही बेटे को समर्पित करने का फैसला किया और लेलैंड स्टैनफोर्ड ने अपनी पत्नी से कहा कि, "कैलिफोर्निया के बच्चे हमारे बच्चे होंगे."14 मई 1887 को आधारशिला रखी गई और योजना और निर्माण के छह साल बाद विश्वविद्यालय को आधिकारिक तौर पर 1 अक्टूबर 1891 को खोला गया, जिसमें 559 छात्र और 15 शिक्षक थे जिसमें सात कार्नेल से थे।।जब स्कूल खोला गया तब छात्रों से ट्यूशन के लिए राशी नहीं ली गई।स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य *"Die Luft der Freiheit weht"* (डी लुफ्ट डेर फ़्राइहाइट वेट) प्रेसीडेंट जॉर्डन द्वारा चयनित है। यह जर्मन से अनुवादित है, इस उद्धरण ’उलरिश फ़ौन हट्टन’ का अर्थ है "स्वतंत्रता की हवा बहती है। " यह आदर्श वाक्य प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तब विवादास्पद था जब जर्मनी में हर चीज़ पर संदेह किया जाता था; उस समय विश्वविद्यालय ने इस बात से इनकार किया कि यह उनका आधिकारिक आदर्श वाक्य है। इस विश्व विधालय को को एक सहशिक्षा संस्था के रूप में स्थापित किया गया था।लेकिन महिलाओं द्वारा बड़ी संख्या में दाखिला लेने की वजह से जल्दी ही जेन स्टैनफोर्ड ने एक नीति की शुरूआत की जिसके तहत केवल 500 महिला छात्र ही दाखिला ले सकती थी। वह नहीं चाहती थी कि यह स्कूल "द वस्सर ऑफ द वेस्ट" बने क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि ऐसी हालत में यह उनके बेटें के लिए एक उपयुक्त स्मारक नहीं बन पाएगा।इसलिए 1933 में इस नीति को संशोधित किया गया जिसके तहत पूर्व स्नातक के लिए स्त्री पुरुष का अनुपात 3:01 निर्दिष्ट किया गया।यह 3:1 का "स्टैनफोर्ड अनुपात" 1960 के दशक तक बनाए रखा गया. 1960 के दशक के अंत तक पूर्व स्नातक के "अनुपात" को 2:1 रखा गया, लेकिन 2005 तक, स्नातक नामांकन के लिए लिंगों के बीच विभाजन लगभग समान हो गया, लेकिन स्नातक स्तर पर पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में बढ़कर लगभग 2:01 हो गई।स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय 8,180-एकड़ (3,310 हेक्टर) क्षेत्र में फैला हुआ है।एक वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के बीच स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक कार्यक्रम को चौथा स्थान दिया गया है और अमेरिका में यह दूसरे स्थान पर है। यहाँ पर खेलों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।खेल के लिए बड़े बड़े खेलमैदान यहाँ मिल जाएँगे।महिला और पुरुषों की टीमें अंतर महाविद्यालय खेल के अतिरिक्त ग्रीष्म ओलंपियाड में भी अपना विशेष स्थान रखती हैं।*स्टैनफोर्ड डेली* के मुताबिक स्टैनफोर्ड प्रत्येक ग्रीष्म ओलंपियाड में 1908 से लगातार भाग ले रहा है,2004 में स्टैनफोर्ड के एथलेटिक्स ने ग्रीष्म खेलों में 182 ओलंपिक मेडल जीते थे। वास्तव में 1912 से लेकर लगातार हर एक ओलम्पियाड में स्टैनफोर्ड के एथलेटिक्स ने कम से कम एक पदक से लेकर 17 पदक तक जीता है।स्टैनफोर्ड एथलेटिक्स ने 2008 समर खेलों में 24 पदक जीते, जिनमें 8 स्वर्ण पदक, 12 रजत पदक और 4 कांस्य पदक हैं। यहाँ के परिसर में बहुत बड़े बड़े हरेभरे पार्क चारों तरफ़ बड़े बड़े पेड़ लगे हैं।जिस समय हम वहाँ पहुचे उस समय कला वर्ग के छात्र-छात्राओं को डिग्रियां वितरित हुई थी।वे अपने काला गाउन पहने अपने हाथों डिग्रियां लिए परिसर में अपनी फोटो खिचवा रहे थे।यहाँ लगभग सभी संकायों में स्नातक और स्नातकोत्तर ,एम बी ए ,के अतिरिक्त ही साथ ही इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज भी इस परिसर में हैं।कला वर्ग की अलग गिर्घा यहाँ पर है जिसमें बहुत ही सुंदर ऐतिहासिक कलाकृतियां कला की बिल्डिंग के बाहर लगी हैं।यहाँ बहुत बड़ी डिजिटल लाइब्रेरी भी है इसमें आठ मिलियन पुस्तकों का संग्रह है। यहाँ परिसर इतना बड़ा है कि पैदल पूरे परिसर में घूमना बड़ा ही कठिन कार्य है।इस समय महें रात्रि के लगभग साढ़े सात से अधिक का समय हो गे था,लेकिन यहाँ पर सूर्यास्त लगभग नो बजे होता है इसलिए इस समय भी अच्छी धूप थी।यहाँ एक बहुत ही अजीब बात हमें देखने को मिली कि कहीं पर भी कोई मुख्य द्वार जैसा नजर नहीं आया।परिसर में भी चौड़ी सड़कें थी।यूनिवर्सिटी का नाम हमने ढूँढने की बहुत कोशिश की लेकिन कहीं भी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अलग से लिखा हुआ हमें नहीं मिल पाया।चारों तरफ़ घूमाने के बाद अब घर वापसी की तैयारी थी ।अत: हम अपने विश्राम स्थल की और चल दिए।

Tuesday, 1 July 2025

4.रेडवुड नेशनल पार्क कैलिफोर्निया (अमेरिका यात्रा 2)

रेडवुड पार्क चार अविश्वसनीय पार्कों का एक परिसर है, जिसका प्रबंधन नेशनल पार्क सर्विस और कैलिफोर्निया स्टेट पार्क द्वारा साझेदारी में किया जाता है। ये चार पार्क रेडवुड नेशनल पार्क, जेडीया स्मिथ रेडवुड्स स्टेट पार्क, डेल नॉर्टे कोस्ट रेडवुड्स स्टेट पार्क और प्रेयरी क्रीक रेडवुड्स स्टेट पार्क हैं। इन पार्कों में कुल मिलाकर दुनिया के बचे हुए प्राचीन तटीय रेडवुड वनों का 45% हिस्सा शामिल है। यह इतनी शानदार और इतनी कीमती जगह है कि इसे स्टोनहेंज, मिस्र के पिरामिड और ग्रेट बैरियर रीफ के साथ यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का नाम दिया गया है।
हर साल दुनिया भर से 10 लाख से ज़्यादा लोग यहां आते हैं।20वीं सदी की शुरुआत में, कैलिफोर्निया के लगभग सभी पुराने तटीय रेडवुड लकड़ी उद्योग द्वारा काट दिए गए थे, लेकिन कुछ प्रकृति प्रेमियों ने आगे आकर इन बचे हुए पेड़ों की रक्षा की। और यह  ’रेडवुड्स राइजिंग’ नामक एक संस्था के माध्यम से आज भी जारी है , इन्होंने नेशनल पार्क सर्विस और कैलिफोर्निया स्टेट पार्क के साथ मिलकर 70,000 एकड़ से अधिक क्षतिग्रस्त जंगल को पुन: उसके पूर्व स्वरूप में लौटाया। यहाँ पर सैंकड़ो वर्ष पुराने घने पेड़ मिल जाएँगे।इन पुराने पेड़ों का तना इतना बड़ा है कि हम चार लोगों ने अपने दोनों हाथ फैलाकर घेरने की कोशिश की तो भी लगा कि अभी कमसे कम चार लोग और मिलकर चैन बनायें शायद तब भी हम इसके तने को नहीं पकड़ पाएंगे अर्थात् लगभग पचास फीट मोटा इनका ताना रहा होगा।इनकी ऊँचाई भी लगभग दो सो फीट से अधिक होगी।कहते हैं कि यहाँ कुछ पेड़ तीन सो फीट से भी अधिक के हैं अर्थात् एफिल टावर से भी अधिक ऊँचे हैं। रास्ते में घने जंगलों में एक स्थान पर हम दुनिया के सबसे लंबे पेड़ों को देखने के लिए एक सुनसान रास्ते की और मड गए। इस रास्ते पर यातायात न के बराबर ही था सड़क भी कम चौड़ी है।इस समय शाम के लगभग सात बजे थे।हम कुछ मील ही आगे बढ़े होंगे कि सुनसान रास्ता देखकर हम वापस मुख्य सड़क की ओर मड गए।वापस आते समय फिर मन में आया कि चलकर देखते हैं।शाम ढलने का समय हो रहा था।फिर भी एक बार पुन: हम मड कर लोंगेस्ट ट्री देखने के लिए चले ही थे कि सड़क के किनारे बिकुल हमारी कार के समीप ही एक भालू पर नजर पड़ी,जिसे देखते ही हम कुछ दूर जाकर एक बार फिर वापस मुख्य सड़क कि तरफ़ मुड़ गए क्योंकि हो सकता था कि आगे अन्य कोई हिंसक जानवर मिल गया तो स्थिति विकट हो सकती है।वापसी पर हमने देखा कि वह भालू अभी भी सड़क के किनारे खड़ा था।यहाँ हमने देखा की वहाँ अकेला नहीं था उसके साथ एक और भाकू भी नजर आया।उससे कुछ दूरी पर हमने उसके कुछ वीडियो भी बनाये लेकिन हमने अपनी कार की खिड़किया बंद ही रखी। इस घने जंगलों से होते हुए हम रात्रि को लगभ आठ बजे पूर्व बुक कराए हुए होटल हॉलिडे इन में पंहुच गए।इस समय यहाँ पर अच्छी धूप होने के बाद भी तेज हवाओं के कारण ठंड थी।यह होटल रेडवुड क्षेत्र में ही यूरेका में है।यहाँ पर रूम में सामान रखकर कुछ समय आराम किया और उसके बाद रास्ते में पैक कराया हुआ भारतीय खाना खाया और रात्रि विश्राम के बाद अब पुन: तीसरे दिन की यात्रा सुबह के नाश्ते के बाद शुरू हो गई।हमारी कार इलेक्ट्रिक है इसलिए रास्ते में जहाँ भी कोई चार्जर पॉइंट मिलता वहीं पर कुछ समय रुककर हम कार जरूर चार्ज कर लेते थे ताकि रास्ते में परेशानी न हो।
तीसरे दिन 14 जून को प्रात: साढ़े नो बजे हम यूरेका से रवाना हो गए थे।आज भी हमे दिन भर रेडवुड पार्क के घने जंगलों से गुजरना था।यह रास्ता समुद्र के किनारे से होकर ही गुजरता है। कहीं समुद्र कि किनारा तो कहीं वापस घने जंगलों के बीच से सड़क थी।कहीं कहीं तो इतने घने जंगल थे कि लगता है जैसे धूप को भी जमीं तक आने के लिए बड़ी मुश्किल से रास्ता मिल रहा था।लगा रहा था कि ऊँचे ऊँचे पेड़ो के बीच से सूर्य देव नीचे झांकने की कोशिश में लगे हैं लेकिन कहीं कहीं वे असफल हो रहे हैं।हालांकि तेज धूप के कारण प्रकाश आ रहा था लेकिन जब कभी दिन में बादलों की ओट में सर्सज़ आ जाता होगा तो निश्चित ही यहाँ दिन में भी घना अँधेरा छा जाता होगा।कहीं कहीं पुराने बूढ़े वृक्ष जड़ों से उखाड़ कर अपनी आयु पूर्ण करने के कारण ज़मीन पर पड़े थे ।ये अधिकांश पेड़ बहुत लंबे और बहुत ही मोटे आकार के तने वाले थे जिन्हें देख कर स्पष्ट लग रहा था कि ये पेड़ कई सो साल पुराने ही होंगे। दोपहर को लगभग दो बजे हम हमने रास्ते में ही एक स्थान पर कार चार्ज के लिए लगाई और भोजन की तलाश की लेकिन यहाँ पर कोई रेस्टोरेंट ऐसा नहीं मिला जिस पर भारतीय भोजन मिल सके इसलिए हमने एक रेस्टोरेंट में वेजी सैंडविच खाया और आगे के लिए रवाना हो गए।यहाँ से हमें गोल्डन गेट ब्रिज होते हुए सैन फ्रांसिस्को पहुचना था। हम लगभग सायं साढ़े चार बजे गोल्डन गेट ब्रिज पहुंच गए।यहाँ एक पुल है गोल्डन गेट नाम ब्रिज के रंग को संदर्भित नहीं करता है, यह **प्रशांत महासागर** से सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के प्रवेश द्वार का नाम है, जिसे गोल्डन गेट स्ट्रेट कहा जाता है।इस खाड़ी के नाम पर ही इस शहर का नाम सैन फ्रांसिस्को पड़ा होगा।इस गोल्डन गेट ब्रिज का निर्माण 1837 में हुआ उस समय यह समुद्र पर दुनिया का सबसे बड़ा झूलता हुआ पुल था।यहाँ पहुँच कर हम जैसे ही कार से बाहर निकले तो देखा वहाँ पर बहुत ही तेज ठंडी हवाएं चल रही थी।पुल के ऊपर बादल इधर उधर तैरते दिख रहे थे।ठंडी हवाओं के कारण हम, सभ ने गर्म जैकेट पहनी और गोलदेब गेट ब्रिज के नीचे पर्यटकों के लिए कुछ स्थान बनाये थे उसी तरफ़ हम भी चल दिए।नीचे समुद्र तट तक बढ़िया पक्की पगडंडी जैसी सड़क बनी थी जिसपर नीचे उतर कर समुद्र विशाल स्वरूप को देखा।दूर समुद्र के बीच की ओर एक टापू पर एक बिल्डिंग नजर आ रही थी।कहते वह कभी जेल के रूप में उपयोगी होती थी।समुद्र के इस तट पर चारों तरफ़ भूत ही हरियाली है। आसपास रंग बिरंगे फूल भी लगे थे साथ ही विविध तरह के लंबे लंबे पेड़ हैं।कुछ पेड़ तो इस प्रकार से लगा रहे थे मानों प्रकृति ने विशाल छतरियां बना रखी हों।हमने कुछ देर वहाँ के कुछ मनोरम दृश्यों को कैमरे में क़ैद किया और ऊपर की तरफ़ वापस आए तो देखा कि यहाँ भी एक विज़िटर ऑफिस था जहाँ कुछ लोग वहाँ की मोहर कागज पर,तो कुछ अपनी डायरी में लगा रहे हैं।इस तरह की मोहर यहाँ के अलग अलग फारेस्ट में जाने पर भी लोग लगते हैं ताकि उनके पास वहाँ पहुँचने का प्रमाण उनके पास रहे।यहाँ पर एक स्टाल भी है जिसपर विविध तरह के सामान बिक्री के लिए रखें हैं,जिनपर सैन फ्रांसिस्को या कैलिफ़ोर्निया लिखा था।
ठंडी हवाएं बहुत तेज होने के कारण हम वहाँ से तुरंत कार की तरफ़ आ गए और यहाँ से सैन फ्रांसिस्को में रात्रि विश्राम स्थल की तरफ़ रवाना हो गए।यहाँ पर हमने ईयरबीन बी बुक किया था यहाँ पर हमें तीन दिन रुकना था क्योकि यह बहुत ही बड़ा शहर है।लेकिन वहाँ तक पंहुचने से पूर्व हम यहाँ की सिलिकॉन वैली पहुचे जहाँ पर अनेकों आई टी कंपनियों के कार्यालय हैं।वहाँ हम मेटा के कार्यालय तक गए जिसका बहुत ही बड़ा कैंपस है।मुख्य द्वार के पास ही मेटा का निशान बना था और वहाँ लिखा था “1 हैकर्स वे” । अंदर पार्किंग तक ही जाने की परमिशन होती है इससे आगे केवल वहाँ काम करने वाले ही जा सकते हैं।यह कैम्पर बहुत बड़ा होने से कर्मचारियों के लिए अपने अपने ऑफिस तक जाने के लिए साइकिलें रखी हैं जीका उपयोग वे यहाँ से आगे जाने के लिए करते हैं।इसके बाद ऐपल के कार्यालय के कैंपस तक गए वहाँ भी अंदर जाना माना था।बाहर से कैंपस को देख कर वापस आगये।यह भी बहुत बड़े परिसर में फैला हुआ है।गूगल,माइक्रोसॉफ्टआदि अन्य सभी छोटी बड़ी कंपनियों के कार्यालय भी यही पर हैं। वहाँ से आने के बाद हम शाम को लगभग साढ़े सात बजे अपने निश्चित विश्राम स्थल पर पहुंचे जो कि बहुत बड़ा घर है।चार कमरों में आठ बेड रूम हैं।दो लिविंग रूम और रसोई,पीछे छोटा सा पार्क आदि सभी सुविधाओं से युक्त यह घर है।यहाँ हमने तीन दिन,चार रात विश्राम करना है।आज हमारी शादी की उनतालीसवीं वर्षगाँठ भी थी इसलिए बेटे बहू ने रास्ते में ही भारतीय भोजन के एक अच्छे होटल की बुकिंग करा दी थी।भारत के मशहूर शेफ संजय कपूर का होटल येलो चिली बुक किया गया था।आठ बजे के निश्चित समय हम वहाँ पहुँच गए और बढ़िया,स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हुए हमें लगा ही नहीं कि हम अमेरिका कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में भोजन कर रहें है। वहाँ आस पास के टेबल पर बैठे अधिकांश लोग भारतीय परिवारों से ही दिखाई दे रहे थे जो सभी आपस में हिंदी में ही बात कर रहे थे,इनके बीच कुछ अन्य देशों के लोग भी भारतीय भोजन का आनंद लेते हुए दिखाई दिए।

7.बिक्सबी क्रीक ब्रिज,गुगलप्लेक्स (अमेरिका यात्रा 2)

आज हमारा बिक्सबी ब्रिज जाने का कार्यक्रम बना।बिक्सीबी ब्रिज, जिसे **बिक्सबी क्रीक ब्रिज** के नाम से भी जाना जाता है , कैलिफोर्निया के बिग सु...