Monday 15 May 2023

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका यात्रा) 5

 (5) स्नोक्वालिम पास (Snoqualmie pass ) और स्नोक्वालिम झरना (snoqualime fall)

————————————————————————————————————————————————


अमेरिका के इस वाशिंगटन राज्य के सिएटल शहर के आसपास का  यह क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र है ।यहाँ पर चारों ओरपहाड़ ,हरे भरे पेड़ और काफ़ी चौड़ी चौड़ी सड़कें हैं।अधिकतर स्थानों पर एकतरफ़ा मार्ग हैं।सड़के अच्छी औरएक तरफ़ा मार्ग होने से यहाँ  पर वहनों की गति काफ़ी अधिक रहती है  प्रायसाठ -सत्तर  मील प्रति घंटा कीरफ़्तार से वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते है 

         आज मौसम बड़ा सुहावना हो रहा है  तारीख़ 6 मई 2023,कल से ही बारिश हो रही है ।हल्की हल्कीबारिश  में तापमान भी कम हो गया  आज सुबह स्नोक्वालिम पास (Snoqualmie pass ) और स्नोक्वालिमझरना (snoqualmie fall) जाने का कार्यक्रम बना ।वैसे बाहर हल्की बरसात हो रही थी  ठंड भी काफ़ीअधिक थी  लगभग :डिग्री तापमान था और स्नोक्वालिम पास (Snoqualmie pass ) का तापमान इंटरनेटपर देखने पर मालूम हुआ कि वहाँ का तापमान चार डिग्री सेल्सियस है ।इसलिए हम सभी ने सर्दी के बचाव केलिए अच्छी तरह से इंतज़ाम कर लिए थे ।आज हम जहाँ जा रहे थे वहाँ पर पहाड़ पर काफ़ी बर्फ थी 

घर से रवाना होने के समय बरसात हो रही थी जो काफ़ी धीमी धीमी थी ।पहाड़ी रास्ते में भी सड़कें काफ़ी चौड़ीथी इसलिए तेज रफ़्तार से प्रकृति का आनन्द लेते हुए हमारी कार भी आगे बढ़ रही थी ।यहाँ पर हमने देखा किप्रायसभी जगह दफ्तरों में शनिवार और रविवार का अवकाश रहता है इसलिए शुक्रवार शाम से ही लोग घरोंके बाहर अपनी - अपनी कारें लेकर घूमने  लिए निकल जाते हैं।इसलिए शुक्रवार शाम से ही बाहर घूमने जानेवाली कारों की संख्या सड़कों पर बढ़ जाती है ।सड़कों पर दौड़ती कारों को देखकर लगता है जैसे कि सभी कोदो दिन की आजादी मिली है और हर कोई इस आजादी का भरपूर उपयोग करना चाहता है।यहाँ के लोगों कामानना है कि इस तरह के बाहर भ्रमण से मानसिक तनाव ,जो कि लगातार पाँच दिन के निरंतर काम से होता है,कुछ राहत मिल जाती है और अगले सप्ताह फिर से एक नई ऊर्जा के साथ काम कियाज़ा सकता  ।जो किसही भी  है ।शारीरिक स्वस्थ के साथ ही मानसिक रूप सभी स्वस्थ होना आवश्यक है 

चारों तरफ़ फैली हरियाली का आनन्द लेते हुए हम आगे बढ़ रहे थे  बारिश भी कभी धीमी तो कभी तेज हो रहीथी  स्नोक्वालिम पास (Snoqualmie pass ) हमारे निवास से लगभग आधे घंटे की दूरी पर ही था  अर्थातलगभग पच्चीस मील की दूरी थी ।वहाँ पहुँचे तो बरसात लगभग बंद हो गई थी  हल्की हल्की फुआर अभी भीथी ।यहाँ पहुँचते ही पहले कुछ पेटपूजा करने का सभी को विचारआया ।क्योंकि घर से सभी बिना नाश्ता किएही रवाना हो गये थे ।यहाँ एक रेस्टोरेंट पैनकेक में हम पहुँचे ।अब प्रश्न था  क्या खाया जाए क्योंकि पाश्चात्यनाश्ते के नामों के विषय में हमारा ज्ञान शून्य था इसलिए बेटे और बहू  पर ही निर्णय छोड़ा गया कुछ भी ऐसामंगाओ जिसमें कोई भी नोन वेज  हो ।नाश्ते में यहाँ एक विशेष बात मैंने देखी कि यहाँ कॉफी फ़्री थी ,चाहेजितनी कॉफ़ी पिओ ।अब कुछ भी जब फ़्री है तो  हम भी भला क्यों चूकते ।कॉफ़ी प्रिय नहीं होते हुए भी हमनेदो फ़ुल कप कॉफ़ी पी ही ली ।यहाँ पर ब्लेक कॉफ़ी का  ही प्रचलन है जिसमें शक्कर भी नहीं होती ।लेकिनटेबल पर दूध और शक्कर के छोटे पाउच भी रखे थे।इसलिए मैंने पहले तो एक घूँट यह ब्लेक कॉफ़ी टेस्ट  कीलेकिन फिर दूध और शक्कर का उपयोग कराना ही उचित समझा लेकिन श्रीमती जी ने कॉफ़ी पीने का रिस्क हीनहीं लिया  उनका मानना है कि जिसमें कुछ स्वाद  नहीं उसे पीकर भला मुँह का स्वाद भी क्यों ख़राब करें।इसीलिए वे ब्लैक टी और ब्लैक कॉफ़ी के नाम से ही दूर रहती हैं।यहाँ का केक कुछ अलग ही तरह का था ।आकार और स्वाद दोनों में ही अन्य केक से भिन्न में यहाँ बहुत तरह के नाम वाले केक थे ।उन सब में वेज काचुनाव कर हमने लिया साथ कुछ अजीब से नाम के आहार भी मंगाए जो कि मेरे और श्रीमती  की समझ से बाहरथे ।कुल मिला कर नये तरह के नाश्ते का अनुभव अच्छा रहा  भरपेट नाश्ते के बाद अब दोपहर के भोजन कीआवश्यकता नहीं थी  हम जहाँ नाश्ता कर रहे थे वहीं पर कुछ बाइक सवार महिला - पुरुषों का ग्रुप भी आयाथा।जिसमें सभी उम्र के लोग थे  अधेड़ उम्र की महिलायें भी स्वयं की बाइक पर सवार थी ।सभी का एक जैसापहनावा देख कर महिला पुरुष में भेद करना मुश्किल था।

               नाश्ता करने के बाद वहाँ से बाहर निकलते ही कुछ दूर पर ही बर्फ से ढके पहाड़ शुरू हो गए थे ।ऊपरसे नीचे तक ,दूर दूर तक बर्फ ही बर्फ नज़र  रही थी ।सर्दियों में यहाँ पर बहुत बड़ी संख्या में लोग स्कीइंगकरने आते है ।हमने देखा कि यहाँ पर तार पर अनेकों ट्रॉलियाँ लटकी हुई हैं।जिसमें बैठ कर लोग ऊपर तहपहाड़ी पर जाते हैं और फिर वहाँ  स्कीइंग करते हुए ,बर्फ में फिसलते हुए वापस नीचे आते हैं।लेकिन अब वहाँके मौसम के हिसाब से गर्मियों में स्कीइंग बंद हो जाती है ।बर्फ के ऊँचे ऊँचे पर्वत अभी तक हमने केवल फ़िल्ममें ही देखे थे ।लेकिन आज साक्षात देखकर पहाड़ों की बर्फ का अनुभव भी किया 







घर से रवाना होते समय हमने वाटर प्रूफ पेंट और जेकेट ले ली थी और जूते भी ।उन्हें पहन कर बर्फ कीपहाड़ियों पर चढ़ने का हमने भी प्रयास किया ।कुछ दूर तक चढ़े भी  वास्तव में यहाँ एक अलग ही प्रकार काअनुभव था ।अभी बर्फ के पिघलने  का समय था  सर्दी के मौसम में जब बर्फ पड़ती है तो यह बहुत ही नर्म होतीहै ।बर्फ पर पैर रखते ही अंदर तक पैरे धंसने लगते हैं। लेकिन अभी यह बर्फ जमकर कुछ सख़्त हो गई थीजिससे ऊपर चढ़ने के लिये सावधानी से पैर जमाकर चलना पड़ रहा था क्योंकि फिसलने का डर भी हमें था फिर भी हमने अपनी क्षमता अनुसार ऊपर चढ़ने का प्रयास किया ही और बिना किसी दुर्घटना के वापस भी गए ।हमने देखा कि कुछ लोग इस बर्फ की पहाड़ी पर ऊपर की ओर चढ़ रहे थे लेकिन हमने अधिक ऊँचाई तकजाने का कोई जोखिम नहीं उठाया ।पास ही एक अन्य बर्फीली पहाड़ी पर भी हम पहुँचे ।यहाँ भी कुछ लोग हीथे  हमें बताया गया कि सर्दियों में जब बर्फ पड़ती है तो यहाँ पर  बड़ी संख्या में लोग आते है और स्कीइंग करतेहैं। पार्किंग में कार खड़ी करने की जगह भी बड़ी मुश्किल में मिलती है 

बर्फीली पहाड़ियों का आनंद लेने के बाद हम वहाँ से रवाना हो कर हम  स्नोक्वालिम झरना (snoqualime fall) पहुँचे  यहाँ काफ़ी संख्या में लोग पहले से ही मौजूद थे  अभी बारिश बंद हो चुकी थी लेकिन सूर्य देव केदर्शन अभी नहीं हो रहे थे ।कार पार्किंग में लगाई और हम अब चल दिये प्रकृति के एक अन्य नज़ारे को देखने केलिए।पार्किंग से निकल कर सड़क के ऊपर से एक पैदल पुल को पार करते हुए हम आगे बढ़े।

                 मैंने पुल से देखा तो नीचे रेलवे लाइन भी थी ।कुछ दूरी पर एक ट्रेन भी नज़र आई  पहले बार यहाँपर ट्रेन नज़र आई  वैसे यहाँ पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा बहुत कम ही है  इसलिए लोग अपने निजी वाहन काउपयोग ही अधिक करते है।पेट्रोल कार के साथ ही यहाँ इलेक्ट्रिक कारों  भी चलन है ।जगह जगह कार चार्जके लिए चार्जिंग स्टेशन बने हैं। जिसपर स्वयं कार चार्ज करनी होती है  मानव शक्ति की कमी है जिससेमशीनी उपयोग की अधिकता है  कार चार्जिंग या पेट्रोल पंप पर आपको कोई कर्मचारी आपको नहीं मिलेगा ।आप स्वयं मशीन चालू करो कार चार्ज में लगाओ या पेट्रोल भरो और कार्ड या मोबाइल से भुगतान कर रवानाहो जाओ 

कुछ दूर चलने पर दूर  स्नोक्वालिम झरना (snoqualime fall) के समीप पहुँचे तो देखा कि बहुत ही ऊँचाई सेकाफ़ी गहराई तक गिरने वाले पानी की हल्की बौछारें दूर तक  रही थी और अपनी शीतलता का अहसास हमेंकरा रही थी ।प्रकृति का यह निराला स्वरूप था जिसके कारण ही लोग दूर दूर से यहाँ खिंचे चले आते हैं।नीचेझांक कर हमने देखा कि पानी काफ़ी गहराई तक जा रहा था।यहाँ सुरक्षा की दृष्टि से रेलिंग लगी थी ।इसनज़ारे को ओर समीप से देखने के लिए नीचे तक जाने का रास्ता एक पगडंडी के रूप में था  बहुत से लोग वहाँतक जा रहे थे  हम भी चल दिये ।नीचे पनबिजली का प्लांट भी लगा था  सुरक्षा व्यवस्था के लिए यहाँ भीरेलिंग लगे थे  पानी का बहुत तेज बहाव ,बहुत साफ़ निर्मल जल ,जिसमें गहराई तक पत्थर नज़र  रहे थे ।एक अद्भुत सुंदर नजारा यहाँ देखने को मिला ।जिसे हमने अपने मोबाइल के केमरे में क़ैद कर लिया था ।चारोंऔर पहाड़ियों से घिरे इस झरने से पानी के बहने की आवाज़ दूर तक जा रही थी  

             अब हमें वापस भी आना ही था ।इसलिए पुनकार में सवार होकर घर की ओर रवाना हो गए ।लौटतेसमय हमने रास्ते में बाहर ही एक भारतीय होटल में भोजन किया और लगभग रात को दस बजे घर पहुँचे।




No comments:

Post a Comment

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम (मेरी पहली हॉस्पिटल यात्रा और वह भी दिल के रोग के कारण ) ———————- दिसम्बर माह में जैसे ही सर्दी की शु...