Sunday 13 August 2023
प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका) 16
प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका)16
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सिएटल Seattle और बेलीव्यू Bellevue (नदी और झीलों का शहर )
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सिएटल और बेलीव्यू के आसपास नदी और झीलों के कई तट हैं ।सिएटल आई टी हब कहलाता है यहाँ पर अनेकों आई टी कम्पनी यहाँ पर हैं ।सिएटल अमेरिका के वाशिंगटन राज्य सबसे प्रमुख शहर है ।यहएक बड़ा शहर होने के साथ ही वाशिंगटन राज्य का सबसे बड़ा बंदरगाह भी है ।यह प्रशांत महा सागर और वाशिंगटन झील के बीच बसा है ।सिएटल से कनाडा की सीमा केवल 160 किलोमीटर ही दूर है ।यहाँ पर बोइंग विमान निर्माण की फेक्ट्री भी ।इसके अतिरिक्त आमेजन ,माइक्रोसॉफ़्ट ,गूगल,फ़ेसबुक आदि के ऑफिस यहाँ पर हैं।आमेजन का मुख्यालय सिएटल में ही है ।इनके कुछ ऑफिस बेलीव्यू में भी हैं लेकिन अधिकांश सिएटल में ही हैं ।सिएटल एक अच्छा बाद शहर है जहाँ पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग और बहुत भीड़भाड़ वाला ट्रेफ़िक भी आपको देखने को मिला जाएगा ,लेकिन सड़कें साफ़ सुथरी और छड़ी हैं जिससे लंबे जाम जैसी स्थितियाँ नहीं रहती । पास ही मिसी सीपी नदी है जो काफ़ी दूर तक फैली है ।यहाँ पर बहुत से गार्डन और बीच हैं जहाँ आप आराम से टहल सकते हैं और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
यह पर मुख्य रूप से स्पेस निडिल ,आमेजन स्पेयर ,डिस्कवरी पार्क ,सिएटल एक्वेरियम,आर्ट म्यूजियम ,सिएटल पब्लिक लाइब्रेरी , ,अल्की बीच ,आदि अनेक स्थान हैं जहाँ पर समुद्र तट और प्रकृति का आनन्द लिया जा सकता है ।
इसी तरह से बेलीव्यू में भी वाशिंगटन झील है जिसने बेलीव्यू को लगभग तीन तरफ़ से घेर रखा है ।क्रिकलैंड (krikland beach ),मैडेब्योर बीच ,साइडल बीच ,ग्रास पार्क ,समामिश पार्क,मेडिना बीच एंड पार्क ,डाउनटाउन पार्क आदि बहुत से स्थान हैं जहाँ आप दिन भर व्यतीत कर सकते हैं।बेलीव्यू को पार्क में एक शहर भी कह सकते हैं।यहाँ पर लगभग सो पार्क हैं ।
इन सबके अतिरिक्त बेलीबेव्यू में एक पब्लिक लाइब्रेरी है जो बहुत ही बड़ी और भूतल के अतिरिक्त ऊपर दो मंज़िल ओर भी हैं। यह राजकीय पुस्तकालय है लेकिन यहाँ की व्यस्था देखते ही मन करता है इन विविध पुस्तकों के बीच कोई भी पुस्तक प्रेमी घंटों यहाँ पर व्यतीत कर सकता है । इस पुस्तकालय के मुख्य द्वार पर भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की एक बहुत बड़ी काले पत्थर की मूर्ति लगी है ।जिस देखते ही गर्व से सीना तन गया कि इस विकसित देश में भी गाँधी का अपना अलग स्थान है ।
वैसे तो हमारे देश में लोग गाँधी के नाम पर ही कुर्सी तक पहुँच जाते हैं ,भले ही मन में गाँधी हो या न हो ।लेकिन विदेश की धरती पर गाँधी का होना वास्तव में उनकी महानता को दर्शाता है ।
पुस्तकालय में अंदर घुसते ही देख एकदम शांत वातावरण में कुछ लोग पुस्तकें पढ़ रहे थे ।यहाँ कुछ कंप्यूटर लगे थे जिसपर लोग अपनी रुचि के अनुसार ऑनलाइन अपना अध्ययन कर रहे थे ।पुस्तक लेने और जमा करने का सभी कार्य ऑनलाइन कंप्यूटर द्वारा ही था । आप अपनी पुस्तक लें और स्कैन कर के घर ले आओ । जमा कराने में भी कंप्यूटर पर स्कैन होने के बाद अपने आप ही मशीन में अंदर चली जाती है । एक ताल पर केवल एक ही व्यक्ति वहाँ था जो केवल आपको सहयोग के लिए था ,यदि आपको कोई जानकारी चाहिए तो वह दे रहा था ।अनुमानतः वहाँ पाँच सो से भी अधिक लोग एक साथ बैठ कर पढ़ सकते थे ।सबसे ऊपर वाले तल पर बच्चों का पुस्तकालय था जिसमें बच्चों के साहित्य के साथ ही उनके बैठने के लिए भी बच्चों के अनुसार ही कुर्सी ,टेबल भी थे । यहाँ पर भी कंप्यूटर लगे थे ।
अब हमारा भारत वापसी का समय भी आ गया ।अमेरिका में व्यतीत किए गए तीन माह वास्तव में अविस्मरणीय रहे।पच्चीस जुलाई को भारत वापसी के की एक बार पुन: हम आ गए सिएटल के एयरपोर्ट पर यहाँ पर एक विशेष व्यवस्था थी कि रेल की तरह एयरपोर्ट पर भी अंदर तक पारिवारिक सदस्य भी आ सकते हैं मिस्टेक लिये पूर्व में ऑनलाइन बुकिंग कर पास बनवाना होता है ।अत: बेटा और बहु दोनों ही एयरपोर्ट पर विमान में बैठने तक साथ रहे ।सिएटल से दुबई होते हुए हम वापस मुम्बई जैसे ही पहुँचे तो ज़ोरदार बरसते बादलों के साथ छोटे पुत्र और बहु एयरपोर्ट के बाहर ही हमारी प्रतीक्षा में मिले ।एक बार फिर देश की मिट्टी की सुगंध से मुम्बई की उमस में भी मन को बहुत सुकून मिला ।
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