Friday 30 June 2023

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका ) 9

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका)9 द स्फेयर्स the sphere स्नोक्वेलमिन वैली ,ऑर्का रनिंग (Snoqualmie valley,orca running)और इण्डियन मेला ————————————————————————————
23 जून की शाम को को सिएटल जाने का कार्यक्रम बना ।वहाँ पर Amazon का मुख्यालय है जहाँ पर ‘The spheres’ काँच की तीन गोलाकार आकृति हैं जिसमें विविध तरह के पेड़ पौधे लगे हैं ।यह Amazon मुख्यालय बिल्डिंग के परिसर में ही स्थित है ।माह के प्रथम और तीसरे शनिवार को फ़्री रजिस्ट्रेशन करके यहाँ देखने के लिए कोई भी आ सकता है। आमेजन के कर्मचारियों के लिए बिन रजिस्ट्रेशन कराये ही प्रवेश मिल जाता है ,लेकिन कड़ी सुरक्षा जाँच के बाद विज़िटर कार्ड जारी किया जाता है ।हम बेटे के साथ गए थे जो कि आमेजन में ही कार्यरत है ।
इस स्फेयर्स में जैसे ही हमने प्रवेश किया ,तो बाहर से जो काँच की आकृति के तीन अलग अलग आकार के बड़े गोले नज़र आ रहे थे उसके अन्दर चारों और हरियाली ही हरियाली है।यहाँ पर लगभग 30 देशों के 40000 पेड़ पौधे उपलब्ध हैं।इस स्फेयर्स का क्षेत्रफल 58828 वर्ग फीट है ।इसके अन्दर ही तरह तरह के पेड़ पौधों के अतिरिक्त एक रेस्टोरेंट और जगह जगह बैठने का स्थान भी है।टेबल कुर्सी भी लगी हैं।आमेजन के लोग यहाँ पर बैठकर ऑफिस का कार्य भी कर सकते हैं।प्रकृति के बीच कार्य करने की सुविधा का कुछ लोग आनंद भी ले रहे थे ।यह अन्दर से तीन मंज़िली खूबसूरत बिल्डिंग है ।इसमें लगे हुए पेड़ और हरियाली कुछ rainforest की तरह से है ।इसके आस-पास ,चारों तरफ़ बड़ी बड़ी ऊँची बिल्डिंग बनी हैं ।बाहर देखने पर बिल्कुल भी आभास नहीं होता कि तीन विविध आकार के काँच के गोलों के अंदर प्रकृति का इतना बड़ा ख़ज़ाना है । दूसरे दिन शनिवार को स्नोक्वलमिन वैली (Snoqualmie vellay ) में orca (ऑर्का )रनिंग का आयोजन था ।अब भारत में तो दस किलोमीटर से 42 किलोमीटर मैराथन तक की रनिंग में हिस्सा ले चुका था।अब सोचा चलो एक बार अमेरिका में भी रनिंग के इवेंट का अनुभव ले लिया जाये ।यूँ तो प्रातः कुछ रनिंग हम यहाँ भी कर ही रहे थे ,लेकिन किसी आयोजन में भाग लेने का मौक़ा मिला तो हम सभी ने दस किलोमीटर की रनिंग में रजिस्ट्रेशन करा लिया ।सोचा चलो यहाँ बड़े बेटे और बहु के साथ भी रनिंग कर लेते हैं।इससे पहले मुंबई में छोटे बेटे बहु के साथ भी रनिंग में हम हिस्सा ले चुके हैं।अब 24 जून की सुबह लगभग 7 बजे हम चारों ,बेटा बहू और मैं,श्रीमती सहित हम घर से रनिंग के लिए रवाना हो गये।घर से स्नोक्वलमिन वैली लगभग पैंतालीस मिनिट में हम पहुँच गये ।यहाँ पहुँच कर बिब और टी शर्ट ली । हमारी दौड़ शुरू होने में अभी काफ़ी समय था ।साढ़े आठ बजे हाफ मैराथन शुरू होने का समय था।उसके आधा घंटे बाद नो बजे दस किलोमीटर की दौड़ शुरू होनी थी ।
आज यहाँ मौसम ठंडा था ,लगभग 14 डिग्री तापमान के साथ ही ठंडी हवायें भी चल रही थी ।सूर्य देव भी बदलों में छिपे थे । धूप नहीं होने से ठंडक अहसास कुछ अधिक हो रहा था ।यहाँ आसपास चारों और हरियाली ,ऊँचे ऊँचे पेड़ ,बड़ा ही अच्छा लग रहा था । तभी हमने वहाँ एक हिरण भी देखा जो आराम से हरी-हरी घास में विचरण कर रहा था ।कई बार वह वहाँ इकट्ठे लोगों की ओर भी देखता और हरी हरी घास आनन्द लेने लग जाता ।जैसे कह रहा हमेरे एरिये में इतने सारे लोगों का क्या काम ? या सोच रहा होगा कि ये मानव प्रजाति मेरा चारा हज़म करने तो नहीं आ गये।ठीक साढ़े आठ बजे 21 km की रनिंग शुरू हो गई थी ।इस बीच अन्य लोगों की तरह हम भी धुरंधर धावक की तरह थोड़ा व्यायाम करने लगे ताकि शरीर में कुछ गर्माहट आये ।अब नो बजते ही हमारी दौड़ भी प्रारम्भ हो गई ।इस दौड के रास्ते में ऊँचे -ऊँचे पेड़ों के बीच कुछ दूर तक लगभग डेढ़ किलोमीटर तो पक्की सड़क थी लेकिन उसके बाद खेतों और घने जंगल के बीच में कच्चा पथरीला रास्ता था ।लगभग एक किलोमीटर तक नदी के किनारे रास्ता बना हुआ था ,जिसमें पानी की तेज धारा बह रही थी और पानी बहने की कल कल आवाज़ भी बड़ी ज़ोर से सुनाई दे रही थी ।उसके बाद शुरू हुआ सुनसान घना जंगल ,जिसकी शांति भंग करते हुए हम दौड़ रहे थे ।इस दौड़ में युवा से लेकर वृद्ध महिला पुरुष तक बड़े ही उत्साह से दौड़ रहे थे ।रास्ते में जगह जगह कुछ वालंटियर सभी धावकों का उत्साह वर्धन कर रहे थे । पाँच किलोमीटर के बाद उसी रास्ते से हमें वापस आना था और दौड़ शुरू होने वाले स्थान पर ही वापस पहुँचाना था ।
हम चारों ने ही बड़े आराम से इस रनिंग को पूरा किया और अपना-अपना सर्व श्रेष्ठ समय निकाला ।हम सभी केवल शौक़िया ही दौड़ रहे थे एक नया अनुभव प्राप्त करने के लिएऔर सभी ने प्रकृति के सौंदर्य का आनन्द लेते हुए आशाओं के विपरीत बहुत बहतर प्रदर्शन किया ।रनिंग के बाद सभी को पुरस्कार स्वरूप छोटा सा लकड़ी का गमला और पौधों के बीज का एक पैकेट दिया ,जो यह संदेश रहा था कि इस धरती को हरा भरा रखने में हम भी अपना सहयोग दें।पास ही नाश्ते और शीतल पेय के स्टाल पर सभी नाश्ता किया और कुछ देर बाद हम घर की ओर रवाना हो गये । आज ही शाम को इण्डियन मेले का भी एक आयोजन था ।अब अमेरिका में इण्डियन मेला सुनकर देखने की भी इच्छा हुई ।यह मेला शाम चार बजे से रात्रि नो बजे तक था । हम लगभग आठ बजे वहाँ पहुँचे तो कार पार्किंग के लिए बड़ी मुश्किल से जगह मिल पाई ।जैसे ही मेले में प्रवेश किया तो लग ही नहीं रहा था कि हम अमेरिका में हैं।वहाँ इण्डियन के अतिरिक्त अन्य देशों के लोग भी बड़े उत्साह से मेले का आनन्द ले रहे थे ।यहाँ अमेरिका में भारत अतिरिक्त चीन,पाकिस्तान ,जापान आदि बहुत देशों के लोग कार्यरत हैं।मेला स्थल के बीच में एक मंच पर भारतीय फ़िल्मी संगीत पर रंग बिरंगी पोशाक में लोग नृत्य का आनन्द ले रहे थे ।बाद में भारतीय फ़िल्मी संगीत पर सभी को डांस के लिए आमंत्रित करते ही सभी उम्र के महिला ,पुरुष और बच्चे मंच के सामने आ गये और जी भर कर सभी ने आनन्द लिया ।हम सभी ने भी इस भीड़ का हिस्सा बनके पूरा मज़ा लिया ।वहाँ लगी दुकानों में ,सभी तरह की भारतीय वस्तुयें जो भारत में मिलाती हैं ,जैसे साड़ी ,कुर्ता ,सलवार ,महिलाओं के लिए विविध सामग्री के साथ ही भारतीय मेलों की ही तरह उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक के व्यंजन तक वहाँ मौजूद थे ।हमने भी उत्तर से दक्षिण तक के विविध व्यंजनों का स्वाद चखा ।वास्तव में आज का संपूर्ण दिन एक यादगार दिन रहा ।एक साथ भारत के इतने सारे लोगों के देख के लग रहा था जैसे हम भारत के ही किसी मेले में खड़े हैं।बस यहाँ केवल एक बात भारत के मेलों से अलग लगी और वह है यहाँ पर लोगों का स्वप्रेरित अनुशासन ।खानपान की हर दुकान के आगे लाइन में खड़े लोग बड़े शांत भाव से खड़े ,अपनी बारी आने का इंतज़ार करते मिले जबकि भारत में बिना किसी लाइन के हम एक दूसरे को धकेल कर सबसे आगे निकल जाने की कोशिश करते रहते हैं।भारत जैसा धक्का- मुक्की वाला मेला यहाँ नहीं था ।सब शांति से व्यवस्थित होकर दुकानों के सामने खड़े थे ।

Thursday 8 June 2023

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका) 8

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका)8 डिस्कवरी पार्क ,रूबी बीच (Ruby beach) ओलंपिक नेशनल पार्क,होह रैन फारेस्ट,और पोर्ट एजेल्स ———————————————————————————————-
मई माह की दो तारीख़ शुक्रवार के दिन बेटे ने ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी ।प्रातः विचार बना कि कहीं घूमने चलते हैं।बहुत देर तक विचार करने के बाद हम सिएटल के डिस्कवरी पार्क की और चल दिये । डिस्कवरी पार्क सिएटल का सबसे बड़ा पार्क है ।यह हमारे निवास से लगभग 13 मील की दूरी पर है ।कार से लगभग पैंतालीस मिनट में हम वहाँ पहुँच गये ।कार पार्क करने के बाद हम वहाँ समुद्र तट की और चल दिये । यह लगभग 534 एकड़ क्षेत्र में फैला है ।यहाँ के तट से ओलम्पिक पर्वत की श्रृंखलाएँ बहुत सुंदर नज़र आती हैं।डिस्कवरी पार्क और beach का यह क्षेत्र बहुत ही शांत और विविध वनस्पति पेड़ों से युक्त है ।इसके पश्चिम में लाइट हाउस भी बना है ।समुद्र तट पर दूर तक रेत में शांति से लोग विचरण करते दिखाई दिये । अब दूसरे दिन शनिवार तीन मई को ओलम्पिक नेशनल पार्क चलाने का कार्यक्रम था । हम सुबह सात बजे घर से रवाना हो गए ।रास्ते में कार चार्ज कराते हुए हम आगे मंज़िल की ओर चल दिये ।ओलम्पिक नेशनल पार्क लगभग 1442 वर्ग मील में फैला है ।इसमें साठ से अधिक ग्लेशियर ,एक वर्षावन (rain forest)एल्पाइन वाइल्डफ्लावर,घास के मैदान और पूरे उत्तरी अमेरिका की आश्चर्य जनक पर्वत चोटियाँ और समुद्र तट भी हैं ।यह पर्वतारोहियों और हाइक करने वालों के लिए बहुत ही अच्छी जगह है ।यहाँ पुराने जंगलों के अतिरिक्त ग्लेशियर माउण्ट ओलम्पस के शिखर भी काफ़ी लोकप्रिय हैं । हम जैसे ही मुख्य सड़क मार्ग से इस ओलम्पिक पार्क के क्षेत्र,राजमार्ग 101 की और मुड़े तो देखा कि इधर की सड़क अपेक्षाकृत कम चौड़ी थी ।केवल दो लेन की घुमावदार सड़क थी ।एक लेन आने कि तथा एक जाने की।इस मार्ग पर ट्रेफ़िक भी कम ही था । लेकिन चारों तरफ़ घना जंगल और सड़क किनारे पीले फूल बहुत ही सुंदर लग रहे थे ।ओलम्पिक नेशनल पार्क के इस क्षेत्र में Ruby beach,,hoh rainforest ,port angels आदि कई रमणीय स्थान भी हैं।
हमें सबसे पहले रूबी बीच पहुँचाना था ,जो कि लगभग कुल 198 मील की दूरी पर था । हम लगभग बारह बजे तक रूबी बीच पहुँच गए थे । कार पार्क करने के बाद हम घने जंगल में बनी पगडंडी पर चलते हुए नीचे तट तक पहुँचे ।यह Ruby beach( रूबी तट )कई मील तक फैला है ।होह नदी जहाँ प्रशांत महासागर से मिलती है उसके ठीक दक्षिण में रूबी बीच (तट ) है जो दूर तक फैला है ।इसमें तरह तरह की आकृति लिए खड़ी चट्टानें वास्तव में अद्भुत हैं। समुद्र और आकाश बहुत दूर एक दूसरे से मिलते हुए प्रतीत हो रहे थे ।यहाँ तट के किनारों पर विविध आकृति के पुराने सूखे पेड़ जो संभवतः बरसात के टूट कर,पहाड़ियों से बहकर नीचे आये होंगे ।पानी की लहरें जो बार बार तट तक आती और किनारे को छू कर फिर वापस लौट जाती ।गहरे पानी में नहाती हुई काले रंग की कई तरह की चट्टानें अपने स्थान पर अडिग खड़ी ,लगता जैसे समुद्र की शक्ति की परीक्षा ले रही हों।हमने वहीं समुद्र किनारे भोजन किया जो की हम घर से बनाकर लाये थे ।कुछ देर आराम किया,समुद्र की लहरोंका आनंद लिया ,कुछ पलों को केमरे में क़ैद किया और फिर आज की आगे की यात्रा के किए रवाना हो गए । हमारा अगला पड़ाव hoh rain forest (होह रैन फारेस्ट ) था जो की यह से लगभग 26 मील की दूरी पर था । इस होह क्षेत्र में बहुत अधिक बरसात होती है ।मैं आपको बता दूँ कि यहाँ पास ही हमेसा बहने वाली नदी ,होह नदी बहती है जिसके नाम पर ही इस क्षेत्र को ही होह रैनफॉरेस्ट कहते हैं।होह रैनफॉरेस्ट का उच्चारण “हो’’ किया जाता है ।जो कि माउण्ट ओलम्पिक से प्रशांत महासागर तट की ओर बहती है ।होह शब्द के विषय में जानकारी मिली कि यह मूल अमेरिकी भाषाओं से आया है ।संभवतः क्विल्यूट शब्द “ओहिलेट” जिसका अर्थ है “तेज़ी से चलने वाला पानी” या “ बर्फ का पानी ।”होह का शाब्दिक अर्थ “झगड़ालू पत्नियों वाला पति “भी होता है । ख़ैर ये एक इतिहास है ।लेकिन यहाँ पर बहुत अधिक वर्षा होती है जिसके कारण यह होह वर्षा वन (hoh rainforest )कहलाता है ।यहाँ पर अक्सर पूरी सर्दी बारिश होती रहती है ।लगभग 140 इंच (3.55 meter) औसतन वर्षा यहाँ हर वर्ष होती है ।जिसके परिणाम स्वरूप यहाँ के पेड़ों पर काई की लम्बी लम्बी परतें जमा होकर लटकी रहती हैं।यहाँ पर बहुत ही विशालकाय पेड़ आपको देखने को मिल जाएँगे ।सो से हज़ार साल तक की उम्र के पेड़ यहाँ दिखाई दे जाएँगे जिनका तना भारत में मिलने वाले बरगद के पेड़ जैसा विशाल है ।इस वन में पैदल हाइक के लिए पगडंडियाँ बनी हैं जिनके माध्यम से एक मील से लेकर सत्रह मिल तक की हाइक भी लोग करते हैं।यहाँ पर लोग टेंट लगा कर रात्रि विश्राम भी करते हैं।होह रेन फोरेस्ट प्रशांत नॉर्थवेस्ट रेन फोरेस्ट के एक हिस्से में स्थित है ।जो कि दक्षिणी अलास्का से कैलिफ़ोर्निया के मध्य तट ,प्रशांत तट तक फैला हुआ है ।
होह से लगभग दो घंटे की ड्राइव पर पोर्ट एंजिल्स है । अब हमारा अगला पड़ाव पोर्ट एंजिल्स है ।होह रैन फ़ॉरेस्ट से मुख्य सड़क पर आने के बाद हम पोर्ट एंजिल्स की और चल दिये ।यह दूरी लगभग 87 मील की थी और लगभग दो घंटे का समय लगता है ।पोर्ट एंजिल्स से पूर्व ,एंजिल्स लेक है जो की बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई है।सड़क कई मील तक ,इस झील के तट पर ही है ,जिससे बहुत देर तक कार में चलते चलते ही हमने पहाड़ियों के बीच इस झील का आनंद लिया । बीच एक स्थान पर हम रुके भी लेकिन बाहर बहुत तेज ठंडी हवा थी ।इसलिए फ़ोटो लेकर तुरंत ही वापस कार में आ बैठे ।पोर्ट एंजिल्स में एक रिसोर्ट में हमने रात्रि विश्राम के लिए पूर्व में ही ऑनलिन बुकिंग करा लिए थी ।हम वहाँ पहुँचे तो वहाँ कोई भी नहीं था ।बेटे गगन से पूछा कि यहाँ तो कोई भी नहीं है किसी को फ़ोन करो तो बेटे ने बताया कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है ।इस बिल्डिंग के लॉक का कोड का मैसेज मोबाइल पर आ गया है ।यहाँ पर कोई नहीं मिलेगा ।लॉक खोलकर अंदर गए तो 3bhk वाला भवन था ।सभी कुछ व्यवस्थित ,तीन कमरे ,हॉल,रसोई ,सभी फ़र्नीचर युक्त था ।भोजन ,चाय ,कॉफ़ी आदि बनाने का सभी सामान व्यवस्थित रूप से रखा था । हमें रात्रि विश्राम यहीं पर करना था ।बाहर ठंडी हवायें चल रही थी ।मौसम की ठंडक को देखते हुए सभी हॉल में हीटर चालू कर चाय -कॉफ़ी का आनंद लेते हुए टी वी देखने लगे ।रात्रि विश्राम के बाद सुबह आराम से चाय नाश्ता करने के बाद हम लगभग ग्यारह बजे यहाँ से रवाना हुए। इन दो दिनों में लगभग चार सो मील से अधिक की कार यात्रा हो गई थी ।

Tuesday 6 June 2023

प्रथम विदेश यात्रा(अमेरिका )7

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका) (7 )लीवनवर्थ ( leavenworth)
——————— आज 27 मई को लीवनवर्थ जाने का कार्यक्रम रहा ।यह हमारे बेलीव्यू स्थित निवास से लगभग 113 मील की दूरी पर है ।लगभग सवा दो-ढाई घंटे का समय लगने का अनुमान है । हम प्रातः लगभग नो बजे घर से निकले । दोपहर का भोजन घर से ही ले कर रवाना हुए क्योंकि हमें बाहर का ख़ाना वैसे भी कम ही समझ में आता है ।यूँ तो यहाँ पर सभी तरह के भोजन मिल जाते हैं । विश्व के अनेकों देश के लोग यहाँ पर रहते हैं इसलिए विविध देशों के होटल भी यहाँ पर हैं।थाई,इटेलियन,मेक्सिकन,चाइनीज, सभी तरह के होटल यहाँ मिल जाएँगे साथ ही भारतीय भोजन के रेस्टोरेंट भी मिल जाएँगे ।भारतीय आवश्यकताओं के कुछ स्टोर भी यहाँ हैं ,जिनपर भारतीयों की आवश्यकताओं के सभी सभी समान मिल जाएँगे ।इसमें किराने के सामान से लेकर नमकीन ,मिठाई और भारत के उत्तर से दक्षिण तक का सभी तरह का भोजन यहाँ मिल जाता है ।फिर भी घर के भोजन की कुछ बात ही अलग है इसलिए प्राय: घूमने जाते समय कोशिश रहती है कि भोजन घर से ही साथ ले कर चला जाये । रास्ते में हमने कार चार्ज की ,और रवाना हो गए आज की मंज़िल की तरफ़ ।रास्ते में वही पहाड़ और चारों ओर हरियाली थी ।हम लगभग साढ़े बारह बजे लीवनवर्थ पहुँच गए थे ।आज मौसम काफ़ी अच्छा था ।धूप खिली थी लेकिन तापमान 15-16 डिग्री रहा होगा । कभी कभी सूरज बादलों के पीछे भी जा छिपाता ।दोपहर को एक बार तो कुछ छींटे बारिश के भी आये लेकिन कुछ अधिक नहीं थे ।जब हम यहाँ पहुँचे तो भोजन का समय भी हो गया था ।इसलिए पहले कार में बैठकर भोजन किया ।इस बीच कार भी चार्जिंग में लगा दी थी । भोजन के बाद घूमने का प्लान था ।हम जैसे ही मुख्य शहर में गए तो इस छोटे से शहर में काफ़ी संख्या में पर्यटक घूमते मिले । भारतीय बाज़ारों की तरह ही यहाँ के बाहर में पहले बार कुछ भीड़ भाड़ देखने को मिली । यहाँ पर पुरानी बिल्डिंगे थी जो कि अधिकांश लकड़ी की ही थी ।लगभग एक तरह की ही शैली में सभी थे । यहाँ के बाज़ार में मुख्य बिक्री का केंद्र था विविध प्रकार की अंग्रेज़ी शराब ।यहाँ पर प्राय: सभी रेस्टोरेंट ,होटल व अन्य दुकानों पर अनेकों तरह की शराब उपलब्ध थी ।जिस तरह भारत में चाय की दुकाने मिलती हैं वैसे ही यहाँ पर शराब की दुकानें थी । कुछ दुकानों पर मैंने देखा की वहाँ पर टेस्टिंग की सुविधा भी थी ।आप पहले टेस्ट करें फिर लेवें।यहाँ शहर के पास ही वेनाची नदी है जिसके किनारे व्हाटरपार्क भी है । इस नदी के किनारे दूर तक घना जंगल फैला है । नदी में हमनें बत्तख़ों के समूहों को अठखेलियाँ कराटे हुए भी देखा।हम बहुत देर तक इन बत्तख़ों के समूहों को पानी में विचरण करते हुए देखकर आनंदित होते रहे । लीवेनवर्थ केंद्रीय वाशिंगटन राज्य में कैस्केड पर्वत में एक बवेरियन शैली का गांव है। एल्पाइन शैली की इमारतों में जर्मन बियर परोसने वाले रेस्तरां और फ़्रंट स्ट्रीट की फ़ूड लाइन है। नटक्रैकर संग्रहालय में हज़ारों नटक्रैकर प्रदर्शित हैं, जिनमें से कुछ सदियों पुराने हैं। वेनाची नदी पर, वाटरफ़्रंट पार्क ओस्प्रे और चील का निवास स्थान है। 1929 की शुरुआत में शहर ने पर्यटन और मनोरंजन को एक प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में देखा, 1962 में, टाउन को पुनर्जीवित करने के लिए रणनीतियों की जांच करने के लिए वाशिंगटन विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में प्रोजेक्ट LIFE (लीवनवर्थ इम्प्रूवमेंट फॉर एवरीवन) समिति का गठन किया गया था। थीम टाउन का विचार दो सिएटल व्यवसायियों, टेड प्राइस और बॉब रॉजर्स द्वारा बनाया गया था, जिन्होंने 1960 में हाईवे 2 पर एक कैफे खरीदा था। टेड प्राइस, प्रोजेक्ट LIFE पर्यटन उपसमिति के अध्यक्ष थे, और 1965 में इस टॉउन के विकास की योजना के लिए डेनिश-थीम वाले शहर, सोलवांग, कैलिफ़ोर्निया की यात्रा की। बवेरियन शैली में फिर से तैयार की जाने वाली पहली इमारत चिकामिन होटल थी, । यहाँ पर विविध तरह के अन्य बाहर भी थे जिनमें तरह तरह की पेंटिंग छोटे बड़े कैनवास पर बड़े ही जीवंत रूप से पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेती थी ।अब जबकि बड़ी तेज रफ़्तार वाली कार और एनी वाहन सड़कों पर दौड़ते हुए आपको मिल जाएँगे ।वहीं यहाँ एक घोड़ा बग्गी भी यहाँ पर देखने को मिली जो कि पर्यटकों को उससे बैठाकर बाज़ार का एक चक्कर लगवा रही थी ।घोड़ा बग्गी का अपना एक अलग ही आकर्षण है ।हम भी इस बग्गी में यात्रा का मोह नहीं छोड़ सके ।लगभग पंद्रह मिनट की इस यात्रा का किराया था पंद्रह डॉलर प्रति सवारी ।हम बेटे बहु के साथ बग्गी में इस लघु यात्रा के लिए बैठ गये ।इस बग्गी की चालक एक महिला थी ।जो बग्गी चलाते हुएवह गाइड की भूमिका निभाते हुए वहाँ के बाज़ार से संबंधित जानकारी भी हमें दे रही थी ।
बग्गी से भ्रमण के बाद हमनेंथोड़ा नाश्ता किया तो हमें कुछ संगीत के साथ ही उत्साह में शोर करते लोगों की आवाज़ें आई ।हम उधर गए तो देखा की वहाँ पर रस्सी कूद (rope jump) प्रतियोगिता चल रही थी ।हमारे पहुँचने के समय लड़कियों की रस्सी कूद चल रही थी ।विविध तरह से कलाबाज़ियों का प्रदर्शन करते हुए एक से बढ़कर एक प्रतियोगी थे ।महिला वर्ग के बाद पुरुष वर्ग की प्रतियोगिता भी हुई । पुरुषों में भी सभी युवा लड़कों ने भी अपनी कला से सबका मन मोह लिया ।इस प्रतियोगिता में विजेता को पाँच हज़ार डॉलर का नगद पुरस्कार भी दिया गया ।महिला वर्ग के फ़ाइनल में बड़ा ही कठिन मुक़ाबला रहा था ।उपविजेता लड़की को विजेता होने की संभावना थी लेकिन उसे विजेता घोषित नहीं किए जाने पर वह काफ़ी निराश हुई ।लड़कों का मुक़ाबला भी बहुत ही रोमांचक रहा । इस खेल का पूरा आनंद लेने के बाद हम वहाँ से वेनाची पब्लिक मार्केट और रिवर फ्रंट की और चल दिये ।यहाँ पर नदी के किनारे रनिंग ,साइकिलिंग के लिए सड़क बनी हुई थी ।पास ही नदी किनारे पार्क में बैठकर नदी की लहरों के सौंदर्य को निहारा और फिर वहाँ के पब्लिक मार्केट भी गए ।इस बाज़ार में सभी कुछ उपलब्ध था । विशेष रूप से ख़ान पान की भी व्यवस्था थी । लेकिन हमने वहाँ केवल थोड़ी देर अवलोकन किया और फिर वापस रवाना हो गये घर की और ।रात्रि का भोजन रास्ते में ही एक इण्डियन होटल में करके जब हम घर पहुँचे तो रात्रि के लगभग नो बजे गए थे ।

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम (मेरी पहली हॉस्पिटल यात्रा और वह भी दिल के रोग के कारण ) ———————- दिसम्बर माह में जैसे ही सर्दी की शु...