Sunday, 22 June 2025
अमेरिका यात्रा 2, दुबई
एक बार फिर से अमेरिका यात्रा का अवसर मिला।दो साल पहले 2023 में मैं सपत्नी अपने देते की आग्रह पर अमेरिका गया था।अभी कुछ दिनों पूर्व ही बेटे काफ़ोन आया कि अमरका आ जाओ।हमने अपना पासपोर्ट देखा तो वह जून माह में समाप्त हो रहा था जिसमें केवल तीन माह का समय ही शेष था।अत:अमेरिका जाने के लिए पासपोर्ट का नवीनीकरण आवश्यक था।जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना था।पिछली बार जब पासपोर्ट बनवाया था तो हमें जयपुर जाना पड़ा था लेकिन इस बार कोटा में ही पासपोर्ट ऑफिस प्रारंभ होने के कारण आशा थी कि शीघ्र पासपोर्ट बन जाएगा।अमेरिका का वीजा हमारे पास दस साल का पहले से ही था।गत बार हम अमेरिका गए थे तब हमें दस का वीजा मिल गया था।
हमने ऑनलाइन आवेदन किया और दो दिन बाद ही एक अप्रेल का अपॉइंटमेंट मिल गया।श्रीमती जी का फॉर्म तकनीकी कमी के कारण ऑनलाइन नहीं भर पाया था।निर्धारित समय पर हम पासपोर्ट कार्यालय पहुँच गए थे।सभी कार्यवाही पूरी कर घर आकर श्रीमती जी का फॉर्म भी ऑनलाइन सबमिट किया और अगले ही दिन उनके पासपोर्ट की सभी औपचारिकता पूर्ण हो गई।अब पुलिस वेरिफिकेशन के बाद पासपोर्ट मिलना था।अगले ही दिन हमें पुलिस वेरिफिकेशन के लिए भी फ़ोन आ गया।जवाहरनगर थाने द्वारा सभी आवश्यक जानकारियां ले ली गई और अब इंतजार था नवीनीकरण के बाद पासपोर्ट प्राप्ति का।
एक सप्ताह के अंदर ही श्रीमती जी का पासपोर्ट प्राप्त हो गया लेकिन मेरा पासपोर्ट नहीं आया।कुछ इंतजार के बाद एक बार हमने फिर से जवाहरनगर थाने में संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि शीघ्र ही मिला जाएगा।एस पी ऑफिस में कभी कभी देरी हो जाती है।थाने वालों का व्यवहार वास्तव में बहुत सहयोगात्मक था।पंद्रह दिन के इंतजार के बाद मेरा भी पासपोर्ट आ गया।पासपोर्ट मिलने की सूचना मिलते ही,बेटे ने 13 मई के टिकिट भेज दिए।टिकिट दुबई होते हुए सिएटल के कराए गए थे।इस बार एक दिन दुबई रुकने का कार्यक्रम था।मुंबई से तीन घंटे की फ्लाइट के बाद 13 को हमारा बुबाई में ही रुक कर दिन में वहाँ घूमने का कार्यक्रम रहा।बुबाई से 14 मई को प्रात: हमारी दूसरी फ्लाइट थी जिसके द्वारा हमें सिएटल जाना था।मुंबई से एमिरेट्स की फ्लाइट द्वारा हमारा टिकिट दुबई के लिए बुक कराया गया था।अगले दिन की फ्लाइट दुबई से सिएटल के लिए भी इसी कंपनी की ही थी ।एमिरेट्स की फ्लाइट में दूसरी फ्लाइट के बीच यदि छ: घंटे से 23 घंटे के बीच का समय हो तो वहाँ रहने के लिए होटल की व्यवस्था एमिरेट्स एयर लाइंस द्वारा ही की जाती है।दुबई में घूमने के लिए पहले से ही एक टैक्सी की बुकिंग भी करा ली थी।
9 मई को हम कोटा ट्रेन से मुंबई पहुंच गए ।वहाँ हमारा छोटा बेटा और बहू रहते हैं।वहाँ से 13 प्रात: 9:45 बजे हमारी फ्लाइट थी इसलिए इस दिन प्रात: फ्लाइट के समय से तीन घंटे पहले पहुंचने का मैसेज आ गया था।हम लगभग सात बजे एयरपोर्ट पंहुच गए थे।एक सूटकेस रखकर बाक़ी सामना लगेज में बुक करा दिया था।इस एक सूटकेस में हमने दुबई में एक रात रुकने के लिए आवश्यक कपड़े रख लिए थे।सुरक्षा जाँच और इमिग्रेशन आदि सभी प्रक्रिया इस बार बहुत ही जल्दी हो गया क्योंकि इस बार भीड़ नहीं थी मात्र पैंतालीस मिनिट में ही ही सभी आवश्यक कारवाही संपन्न हो गई थी।अभी हमरे पास लगभग दो घंटे का समय था,इसलिए सोचा क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लॉज में फ्री आराम करने की व्यवस्था होती है इसलिए कुछ देर लॉज में रुका जाए।हम अड़ानी की एक लॉज में पहुंचे तो उन्होंने बताया कि हमारे पास लॉज की सदस्यता नहीं है।अन्य किसी में कोशिश नहीं करके हमने हमारी फ्लाइट की रवानगी स्थल वाले गेट पर ही पंहुचना उचित समझा और हम सीधे निर्धारित स्थान पर पहुंच गए इस बीच दुबई में रुकने के लिए वहाँ की करेंसी होना भी जरूरी था इसलिए एयरपोर्ट पर ही हमने रुपए के बदले दुबई की करेंसी दीरम ले ली।दुबई पर 1833 से अल मक़तूम वंश ने शासन किया है। इसके मौजूदा शासक मोहम्मद बिन रशीद अल मक़तूम संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति भी हैं।यहाँ मुख्यत: तेल का उत्पादन होता है।इसकी अर्थव्यवस्था में तेल के उत्पादन का बहुत बड़ा हाथ है।लेकिन अब इसके साथ ही यह एक बहुर बड़े पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित हो गया है।दुबई संयुक्त अरब अमीरात (UAE)सात अमीरातों में से एक है। यह फारस की खाड़ी के दक्षिण में अरब प्रायद्वीप पर स्थित है। दुबई,एक वैश्विक नगर तथा व्यापार केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आया है
मुंबई से हमारी फ्लाइट निर्धारित समय पर रवाना हो गई थी और भारतीय समय अनुसार दोपहर एक बजे और दुबई के अनुसार दोपहर के बारह बजे हम दुबई एयरपोर्ट पर पहुंच गए थे।फ्लाइट से उतरते ही बुक की गई टैक्सी के ड्राइवर मालिक का फ़ोन आया।हमने उसे बाहर ही इंतज़ार के लिए कहा क्योंकि पहले हमें वहाँ रुकने के लिए एयरलाइंस के होटल के विषय में भी जानकारी लेनी थी कि कहाँ व्यवस्था है। दुबई का एयरपोर्ट बहुत बड़ा है।यहाँ एक लिफ्ट से नीचे जाकर बाहर की ओर आना था।लिफ्ट में हम जैसे ही घुसे तो लगा कि शायद हम ग़लत जगह पर आ गए हैं क्योंकि लिफ्ट बहुत ही बड़ी थी आम आदमी के दो कमरेके बराबर थी ।निर्धारित होटल रुकने के विषय पूछते पूछते हम मुख्य द्वार के समीप आ गए।वहाँ जानकारी मिली कि थोड़ी देर यहाँ रुकें,होटल तक पहुंचा दिया जाएगा।थोड़ी देर प्रतीक्षा के बाद हमें बताया गया कि होटल के लिए बस आ गई है।हमारे रुकने की व्यवस्था एयरलाइंस द्वारा कॉप्थॉर्न होटल में की गई थी।मात्र पाँच मिनिट में हम होटल पंहुच गए।।
होटल पहुँच हमने ड्राइवर को होटल,एक घंटे बाद आने के लिए फ़ोन कर दिया ताकि इस बीच हम भोजन आदि भी कर सकें।निर्धारित रूम में अपना सूटकेस रखकर हम डाइनिंग हॉल चले गए।यहाँ पर हमारे थाहने के साथ ही भोजन और नाश्ते आदि की सभी व्यस्था एमिरेट्स एयरलाइंस द्वारा ही की गई थी।डाइनिंग हॉल में हमने देखा की यहाँ पर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के भोजन की व्यवस्था थी।हम शुद्ध शाकाहारी हैं इसलिए बड़े ध्यान से भोजन की टेबल पर शाकाहारी भोजन के विषय में नाम आदि पढ़ कर ही हमने अपनी प्लेट में भोजन सामग्री ली।बहुत ढूँढने पर भी यहाँ रोटी जैसा कुछ भी नहीं मिला इसलिए केवल दल चावल ,फल और सलाद से ही काम चलाया।
हम दोपहर के भोजन से निवृत हुए ही थे कि टैक्सी ड्राइवर भी आ गया।टैक्सी में बैठते ही उसने हमसे पूछा कि कहाँ चलना है।हमने केवल बुर्जख़लीफ़ा के ही काफ़ी चर्चे सुने थे इसलिए सबसे पहले बुर्जख़लीफ़ा चलने के लिए ही कहा,उसके बाद अन्य जो भी हो वह स्वयं ही बताये कि कौन कौन सी जगह जया जा सकता है।हमारी टैक्सी की बुकिंग दोपहर बारह बजे से दस बजे तक दस घंटे के लिए थी जिसमें से अब केवल आठ घंटे ही हमारे पास थे,क्योंकि अभी लगभग दो बज गए थे।हम अभी बुर्जख़लीफ़ा की तरफ़ चल दिए।रास्ते में बातचीत से लगा कि उसका बोलने का लहजा पंजाबी है तो हमने उससे पूछ ही लिया कि क्या वह पंजाब का रहने वाला है।उसने बताया कि उसका नाम मालिक ख़ान है और पंजाब का ही रहने वाला है लेकिन भारत वाले पंजाब का नहीं,वह पाकिस्तान वाले पंजाब का है।पाकिस्तान का नाम सुनते ही हम थोड़ा संशय में पड़ गए।क्योंकि अभी कुछ दिनों पूर्व ही भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ था।अगर रास्ते में कोई गड़बड़ हो गई तो?श्रीमती जी के धीरे मेरे कान में अपनी शंका प्रकट की।हमारी मनस्थिति देखते हुए उसने बड़ी सहजता से कहा कि आम पाकिस्तानी के मन में भारतीयों के प्रति कभी भी दुश्मनी का भाव नहीं रहा।केवल कुछ लोग अपनी राजनीति के लिए ही एक दूसरे के लिए दुश्मनी का वातावरण बनाये रखना चाहते हैं।हम भी उसकी बातों से सहमत थे।उसे मालूम था कि हम भारत से आए हैं इसलिए हमारी बातचीत हिंदी में ही हो रही थी।
रास्ते में हमने देखा कि चारों और बहुत चौड़ी सड़के,जो बहुत ही साफ़ सुहारी हैं।यातायात भी बड़े नियम से ही चल रहा था।दूर दूर तक बहुत ऊँची ऊँची भव्य इमारतें बरबस ही अपनी तरफ़ ध्यान आकर्षित करती हैं।बुर्जख़लीफ़ा के टिकिट की बुकिंग भी हमने ऑनलाइन ही पहले करा ली थी।बुर्ज खलीफ़ पहुँचने के बाद टैक्सी ड्राइवर मालिक के कार को पार्किंग में खड़ा किया और हमें अंदर बुर्जख़लीफ़ा तक छोड़ने के लिए हमारे साथ चल दिया।यहाँ की पार्किंग बहुत ही बड़े स्थान में फैली हुई है।ड्राइवर ने बताया कि बुर्जख़लीफ़ा के लिए मॉल से हो कर जाना पड़ेगा।यह मॉल बहुत ही बड़ा है और इसकी गिनती दुनिया के बहुत बड़े मॉल में होती है।चारों तरफ़ विभिन्न शोरूम बने हैं।लेकिन अभी हमें पहले बुर्जख़लीफ़ा तक पंहुचना था इसलिए ड्राइवर के साथ सीधे चलते गए लगभग पंद्रह मिनिट पैदल चलने के बाद बुर्जख़लीफ़ा की बुकिंग खिड़की आई।अब हमारे ड्राइवर ने हमें यहीं पर छोड़ दिया और कहा कि बुर्जख़लीफ़ा में ऊपर तक जाकर वापसी में मॉल में घूम कर वाटर फॉल के पास पहुँच कर फ़ोन कर देना मैं आ जाऊँगा।यहाँ तक आते समय मॉल में एक स्थान पर वाटर फॉल दिखा था जहाँ मिलना तय हुआ।
बुर्जख़लीफ़ा की टिकिट विंडो पर हमने अपने मोबाइल में टिकिट दिखाया तो उसने वह देख कर हमें टिकिट की हार्ड कॉपी दे दी और हम बताए गए निर्धारित रास्ते से आगे बढ़ते चले गए।यहाँ रास्ते में रेलिंग लगी हुई थी।बहुत लंबा रास्ता रैंप पर तय कराटे हुए हम ऊपर चढ़ते जा रहे थे।बीच में एक लिफ्ट आई उसके मध्यम से ऊपर गए तो वहाँ पर एक बार फिर से रैंप पर आगे बढ़ते गए।पूरे रास्ते में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिससे पूछा जाए कि कब तक और कहाँ तक चलना है।सभी एक दूसरे के पीछे चलते जा रहे थे।हमारे आगे भी कुछ लोग थे जिनके पीछे हम छ रहे थे।लगभग पंद्रह बीस मिनिट के चलने के बाद देखा कि अब आगे रास्ता बंद है और एक दूसरी लिफ्ट और आ गई जिसके बाहर एक कर्मचारी खड़ा था जिसने अन्य लोगों के साथ हमें भी वहीं पर रोक दिया।जिसे देखकर हमें तसल्ली आई की हम गंतव्य स्थान तक पहुँच गए हैं और अब लिफ्ट द्वारा ऊपर निर्धारित स्थान तक पहुंचा जाएगा।
कुछ क्षण रुकने के बाद लिफ्ट खुली जिसमें से ऊपर गए हुए कुछ पर्यटक बाहर निकले और हम उस लिफ्ट में अंदर जैसे ही घुसे वहाँ नीले रंग की बहुत ही मध्यम लाइट जल रही थी।जैसे ही लिफ्ट ने ऊपर जाना शुरू किया तो लिफ्ट के चारों ओर अंडर की दीवारों पर ऊपर जाते हुए बाहर के दृश्य ,हम कब कौनसे तल पर हैं और कितनी ऊँचाई पर है सब लिखा हुआ आ रहा था।बुर्जख़लीफ़ा आठ अरब डॉलर की लागत से छह साल में निर्मित 820 मीटर ऊँची 163 मंज़िला दुनिया की सबसे ऊँची इमारत है इसका लोकार्पण4 जनवरी2009 को भव्य उद्घाटन समारोह के साथ किया गया। इसमें तैराकी का स्थान, खरीदारी की व्यवस्था, दफ़्तर, सिनेमा घर सहित सारी सुविधाएँ मौजूद हैं। इसे 96 किलोमीटर दूर से भी साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। इसमें लगायी गयी लिफ़्ट दुनिया की सबसे तेज़ चलने वाली लिफ़्ट है। “ऐट द टॉप” नामक एक दरवाज़े के बाहर अवलोकन डेक बनी है जो कि 124 वीं मंजिल पर,है इसे 5 जनवरी 2010 को सभी के लिए खोला गया।यह 452 मीटर (1,483 फुट) पर, दुनिया में तीसरे सर्वोच्च अवलोकन डेक हैं।
लगभग एक मिनिट में ही हमारी लिफ्ट 124 वीं मंजिल पर पहुंच गई।लिफ्ट से बाहर निकल कर हमने देखा कि जो बिल्डिंग नीचे सड़क से बहुत ऊँची ऊँची लग रही थी वे अब बहुत छोटी नजर आ रही थी।अब हम 452 मीटर अर्थात 1,483 फिट की ऊँचाई पर थे।चारों तरफ़ ग्लास लगा हुआ था जिसमें से चारों तरफ़ का नजारा साफ़ देखा जा सकता है।नीचे चल रही कार और एनी वाहन सड़क पर खिलौने की तरह से दिखाई देते हैं।सभी लोग चारों तरफ़ के ख़ूबसूरत नज़ारों को अपने अपने मोबाइल के कैमरे में क़ैद कर रहे थे।ऊपर से कई समुद्र का पानी तो कहीं सड़कों का जाल नजर आता है।चारों तरफ़ से अवलोकन और फ़ोटो खिचने के बाद हम लिफ्ट द्वारा वापस नीचे की तरफ़ आए और अब मॉल में घूमने का विचार था।लेकिन पैदल चलते चलते कुछ थकान महसूस होने लगी।इच्छा हुई कि कहीं पर कुछ देर बैठ कर चाय पी जाए ताकि कुछ थकान कम हो।हम चाय की तलाश करते हुए मॉल में आगे बढ़े लेकिन यहाँ कोल्ड ड्रिंक्स,कॉफी और अन्य फास्टफूड के स्टॉल ही अधिक नजर आए।चलते चलते एक जगे लिखा था कड़क चाय,हमने वहाँ जाकर पहले पूछा कि यहाँ दूध वाली चाय मिल जाएगी क्या?उसकी स्वीकारोक्ति के बाद के बाद हमने एक चाय का ऑर्डर दिया जिसकी क़ीमत तीस दीरम है।दीरम यहाँ की मुद्रा है।लगभग 23.5 रुपए के बराबर दीरम होती है।कुछ ही देर में जब चाय आई तो हमने देखा कि एक चाय केतली भरकर चाय थी साथ में दो बड़े ख़ाली कप भी दिए ।हमने जब कप में चाय डाल कर जैसे ही चाय की चुस्की ली तो वास्तव में चाय अच्छी बनी थी और मात्र में भी बहुत अधिक थी।इससे पूर्व हमने यहां दुबई के एयरपोर्ट पर भी एक बार चाय पी थी जो बड़ी ही मुश्किल से पी गई थी।
चाय पीने के बाद हम दुनिया के सबसे बड़े मॉल का अवलोकन करने चल पड़े।यहाँ चारों तरफ़ बहुत बड़े बड़े शो रूम बने हैं जहाँ बड़ीं बड़ी कंपनियों के उत्पाद उपलब्ध हैं।खेल के लिए भी इसमें स्थान है।कुछ लोग स्केटिंग भी कर रहे थे। एक स्थान पर कुछ कलाकार अपने गानों से लोगों का ध्यान आप[अनी तरफ़ आकर्षित कर रहे थे।यहाँ पर चिन एक अलग ही बाजार है जिसमे वहाँ की विभिन्न वस्तुयें मिलती हैं।मनोरंजन के लिए यहाँ पर सिनेमा थिएटर भी हैं थोड़ी देर इधर उधर घूमते हुए हम उस स्थान पर पहुँच गए जहाँ पर हमें ड्राइवर ने मिलने के लिए कहा था।यहाँ एक सुंदर वाटरफॉल है जिसमें ऊपर नीचे की ओर आते हुए कई पुरुष कलाकृतियाँ बनी थी।वहाँ से ड्राइवर को फ़ोन किया और हमने कुछ फ़ोटो भी वहाँ ली ।कुछ देर में ही वहाँ ड्राइवर आ गया और हम वहाँ से आगे के लिए रवाना हो गए।
यहाँ से हम म्यूजियम गए जिसका आकार विशेष प्रकार का है।इसे भविष्य का संग्रहालय कहा गया है।यहाँ का मुख्य पुराना संग्रहालय पुर्राने किले में स्थित है।यह नवीन और भविष्यवादी विचारधाराओं को समर्पित एक मील का पत्थर है।यह भविष्य का संग्रहालय एक टोरस आकार की इमारत है जिसमें भविष्य के बारे में एक कविता के रूप में खिड़कियां हैं, जो महामहिम शेख मोहम्मद बिन मकतूम ,उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री द्वारा लिखी गई है। संयुक्त अरब अमीरात और दुबई के शासक दुबई फ्यूचर फाउंडेशन द्वारा स्थापित संयुक्त अरब अमीरात की सरकार ने 22 फरवरी 2022 को संग्रहालय खोला तारीख का चुनाव आधिकारिक तौर पर किया गया ।हमने इस बहुत ही विशेष आकृति वाली इमारत का बाहर से ही अवलोकन कर फ़ोटो ली और आगे के लिए बढ़ चले।क्योंकि हमारे पास समय कम ही था।
इस बीच सिएटल से बेटे का फ़ोन आया,उसने ग्लोबल विलेज देखने के लिए कहा तो हमने ड्राइवर से वहाँ चलने के लिए बोल दिया।उसने बताया कि यहाँ से लगभग एक घंटा वहाँ तक जाने का लगेगा।रास्ते में एक विशाल फ़ोटो फ्रेम था कुछ देर हम वहाँ रुके।यह स्टील का बना हुआ बहुत ही विशाल है इसकी ऊँची 150 मीटर है लोग यहाँ खड़े होकर फोटो खींच रहे थे।यहाँ अंदर पार्क और ऊपर जाने के लिए लिफ्ट भी है।लेकिन हम इससे भी ऊँची बिल्डिंग पर ऊपर तक जा चके थे इसलिए हम बाहर से ही देखकर आगे के लिए रवाना हो गए।
अब हमें ग्लोबल विलेज पहुचना था।हम लगभग छ: बजे वहाँ पहुँच गए।इस विलेज का खूबसूरत मुख्य द्वार बहुत दूर से दिखाई दे रहा था।पास जाने पर वह और भी सुंदर लग रहा था।यहाँ पर बहुत ही बड़े क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था थी।कार पार्किंग में खड़ी करके ड्राइवर ने हमें बताया कि गेट के पा ही टिकिट विंडो है वहाँ से टिकिट लेकर अंदर प्रवेश कर सकते हैं।यहाँ पर टिकिट की रेट 30 दीरम शनिवार,रविवार और छुट्टी के दिनों में तथा सामान्य दिनों में पच्चीस दीरम है।हमने टिकिट लिए और मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही अंदर दोनों और विविध देशों के पंडाल दिखाई दिए। यहाँ मेले के जैसा वातावरण रहता है।
अंदर प्रवेश करते ही स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी की प्रतिमा लगी है।विभिन्न देशों के अपने अपने उत्पादन और वहाँ की संस्कृति के दर्शन यहाँ एक ही परिसर में देखने को मिल जाते हैं।चारों तरफ़ रंगबिरंगी लाइटें लगी है।एक जगह विभिन्न प्रकार की रगबीरंगी लाइट के साथ ही फ़ाउंटेन भी लगे हैं।कई देशों का अपना अपना खान पान,वस्त्र,वि अन्य उत्पादन यहाँ उपलब्ध हैं।जब भारतीय पंडाल आया तो वहाँ इंडियन चाट, वि अन्य जायकेदार व्यंजनों की दुकाने नजर आई।अंदर भारतीय कपड़े व अन्य उत्पाद भी थे।यहाँ पर भारत के अतिरिक्त ईरान,इराक़,ओमान,चीन ,अमेरिका,पाकिस्तान और बांग्लादेश के अतिरिक्त अन्य भी देशों के पंडाल लगाए गए हैं।कहते है कि यहाँ पर लगभग सत्तर देशों के पंडाल लगे हैं।सीमित समय में सभी पंडाल पर घूमना हमारे लिए संभव नहीं था क्योंकि ड्राइवर ने बताया कि आठ बजे बाद ट्रेफिक बढ़ जाता है इसलिए समय सीमा में ही यहाँ से रवाना हो जायें तो ठीक रहेगा।यह विलेज प्राय: सितंबर अक्टूबर से मई माह तक ही रहता है।गर्मियों में बंद रहता है।इस बार आठ मई तक ही सीमा थी लेकिन इसे एक स्पतः आगे बढ़ा दिया गया था इसलिए हम इसे देख सके।
हम आठ बजे से पूर्व बाहर पार्किंग में निर्धारित स्थान पर आ गए थे।कुछ देर बाद ही ड्राइवर भी कार लेकर आ गया।यहाँ सेव हमें आज की यात्रा यहीं समाप्त करके होटल वापस पहुँचने के लिए चल दिए।इस बीच बेटे के मित्र का भी फ़ोन आया जो कि अभी दुबई में ही रहता है।हमने उसे होटल पहुँचने पर मिलने को कहा।होटल पहुँच कर सायं के भोजन के लिए हम भोजन शाला पहुचे और एक बार फिर कुछ सात्विक भोजन की तलाश की लेकिन अभी भी हमारे खाने योग्य केवल दाल चावल और फल ही थे।हमने उसी से काम चलाया।भोजन के बाद हम अपने रूम पर चले गए।थोड़ी देर बाद बेटे के मित्र का फ़ोन आया कि वहाँ होटल में आ गया है।लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से उसे हमारे रूम तक नहीं आने दिया।हम नीचे स्वागत कक्ष में ही आ गए।यहाँ बहुत देर तक इधर उधर की बातें चलती रही और पता ही नहीं लगा कि कब रात्रि के साढ़े ग्यारह बज गए।
उसके रवाना होने के बाद हम भी अपने रूम में चले गए। सुबह सात बजे तक तैयार होकर हमें अब आगे की यात्रा के लिए रवाना होना था।हमे बताया गया था कि सुबह सात बजे तक तैयार होकर आ जायें यहाँ से बस द्वारा एयरपोर्ट छोड़ दिया जाएगा।दूसरे दिन प्रात:साढ़े छ: बजे हम तैयार होकर नाश्ते के लिए पहुँच गए।यहाँ ब्रेड बटर और थोड़ा जूस लिया और बस की प्रतीक्षा में निर्धारित स्थान पर आ गए।यहाँ कुछ देर बाद ही बस गई।बस द्वारा पाँच मिनिट में ही एयरपोर्ट पहुँच गए।यहाँ पर फिर एक बार बार सुरक्षा तलाशी का क्रम प्रारंभ हुआ और अमा निर्धारित गेट पर आठ बजे पहुँच गए।यहाँ से सिएटल के लिए 9:45 बजे हमारी फ्लाइट थी।साढ़े आठ बजे से ही एक बार पुन: गहन जाँच और तलाशी ली गई।साथ में लिया गया बैग भी अच्छी तरह से दोबारा चेक किया गया।पिछली बार भी जब हम अमेरिका गए थे तो इसी तरह दोबारा जांच की गई थी।सभी आवश्यक जाँच के बाद हम सिएटल के लिए अपनी फ्लाइट तक पहुँच गए।यहाँ से निर्धारित समय पर हमारी फ्लाइट रवाना हो गई और चौदह घंटे की यात्रा के बाद हम सिएटल पहुँच गए।अमेरिका के समय के अनुसार दोपहर के एक बजे 14 मई को हम यहाँ पहुँचे जबकि भारतीयसमय के अनुसार 15 तारीख़ के रात्रि साढ़े बारह बजे का समय हो गया था।
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