Thursday 20 July 2023
प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका)15
प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका)15
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माउण्ट रेनियर(mount rainier),स्काईलाइन ट्रेल हाइक (skyline trail hike)
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माउण्ट रेनियर ,एक बहुत ही सुंदर पर्वत है जिसकी ऊँचाई लगभग 14411 है।सिएटल से ही बर्फ ढकी विशाल पहाड़ी नज़र आती हैं।जबकि यह सिएटल से लगभग 85 मील की दूरी पर है ।कास्केड पर्वत श्रृंखला में यह एक बहुत सुंदर पर्वत है ।कास्केड पर्वत श्रृंखला पश्चिमी अमेरिका से दक्षिणी ब्रिटिश कोलंबिया ,वाशिंगटन,और ऑरेगन से उत्तरी कैलिफ़ोर्निया तक फैली है ।
माउण्ट रेनियर पर जाने का अवसर मिलते ही हम भी इसकी सुंदरता देखने लिए प्रातः साढ़े पाँच बजे ही घर से कार द्वारा रवाना हो गए ।माउण्ट रेनियर पर्वतीय क्षेत्र शुरू होने से लगभग 17 मील पहले ही वन विभाग की चेक पोस्ट है जहाँ अपनी बारी आने के थोड़ा इंतज़ार करना पड़ता है ।इस चेक पोस्ट के बाद घने जंगल का क्षेत्र प्रारम्भ हो गया।यहाँ से ऊपर पार्किंग तक का रास्ता बेहद ख़तरनाक घूम वाला है ।यहाँ पर बड़ी सावधानी से वाहन चलाने की आवश्यकता है ।वैसे तो सड़क काफ़ी अच्छी है जिससे अधिक असुविधा नहीं होती ,फिर भी यहाँ पर लापरवाही महँगी पड़ सकती है।
वहाँ पहुँचकर हमने निर्धारित स्थान कार पार्क की और स्काईलाइन ट्रेल की पैदल यात्रा के लिये तैयार हो गए ।स्काईलाइन ट्रेल की यह हाइक 5.5मील की है जो पार्किंग से लगभग दस किलोमीटर ही हो जाती है ।इसमें क़रीब दो हज़ार फीट की चढ़ाई रहती है ।वैसे तो दस किलोमीटर पैदल चलना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि इतनी रनिंग तो हम करते ही रहते हैं ।इसलिए हम बड़ी उत्सुकता से तैयार हो गए ।लेकिन जैसे जैसे हम आगे बढ़ाते गए वैसे वैसे कठिनाई भी बढ़ती गई ।
प्रारम्भ कुछ रास्ता काफ़ी अच्छा,कंक्रीट से पक्का बना था ,लेकिन थोड़ी दूर बाद से कच्ची पगडंडी प्रारम्भ हो गई ।जैसे जैसे पर्वतीय सुंदरता बढ़ रही थी वैसे वैसे सस्ता कठिन होता रहा था ।कुछ ऊँचाई तह हरे भरे वृक्ष ,रंग बिरंगे फूल वाली घाटियाँ नज़र आई लेकिन ऊँचाई बढ़ने पर हरियाली कम होती गई और बर्फ की चादरें पहाड़ियों पर नज़र रही थी।अधिक ऊँचाई पर अब हरियाली लगभग समाप्त थी उसके स्थान पर केवल पत्थर की चट्टानें और सूखी मिट्टी ही थी ।कई स्थानों पर रास्ते में भी बर्फ जमी थी ,इस बर्फ में बनी पगडंडी पर बड़ी सावधानी से कदम बढ़ाने पड़ रहे थे ।कहीं कहीं तो पैर न चाहते हुए भी फिसल रहे ।ऐसे में हम सभी अलग अलग जगह ,फिसल भी गए थे ।आधे से अधिक रास्ता हमने पार कर लिया था ।
अब कई जगह तो रास्ता इतना संकरा है कि एक बार में एक व्यक्ति भी बड़ी मुश्किल से निकल पा रहा था ,जिसमें जहाँ बर्फ़ीला रास्ता था वहाँ कठिनाई से आगे बढ़ पाये।लगभग तीन चौथाई रास्ता हम पार कर ही चुके थे कि तभी एक स्थान पर बर्फ में रास्ता कुछ कठिन था उस पर श्रीमती जी अचानक फिस्कल गई और उन्हें कुछ चक्कर भी आ गए ।थोड़ी देर में उन्हें कुछ ठीक लगा तो हमने पुन: आगे बढ़ना शुरू कर दिया ।रास्ता तो कठिन था ही अब श्रीमती जी को भी थकान बढ़ती जा रही थी ।अभी भी दो किलोमीटर की हाइक बाक़ी थी क़रीब आठ किलोमीटर हम चल चुके । अब रास्ता ढलान वाला था । धीरे धीरे हिम्मत करके बढ़ ही रहे थे कि हाइक समाप्ति से लगभग एक किलोमीटर पहले एक बार फिर कुछ चढ़ाई वाला रास्ता आ गया ।तब लगा कि कहीं हम ग़लत रास्ते पर तो नहीं आ गए ? लेकिन नक़्शे के अनुसार हम सही चल रहे थे ।थकान बढ़ती रही थी ।रास्ते में ठंडे पानी की बहते झरनों का आनंद लेना भूल ,बस यही उत्सुकता थी कब यह हाइक समाप्त हो और हम नीचे पहुँचे ।श्रीमती और शिवानी दोनों ही बड़ी मुश्किल से आगे रहे थे ।हाइक समाप्ति के लगभग दो सो मीटर पहले ऊपर से जैसे ही नीचे “ पैराडाइस इन”की बिल्डिंग दिखाई दी तो कुछ राहत मिली और उत्साह से कदम तेज़ी से बढ़ाने लगे ।नीचे आते ही सभी ने राहत की साँस ली ।सभी ने वहाँ रेस्टोरेंट जाकर ठंडा नींबू पानी एवं अन्य ठंडा पेय लिया जिससे कुछ मिली ।
कुछ देर वहीं विश्राम करके हम भोजन के लिए एक पिकनिक स्थान पर रुके और आराम से भोजन किया और वहीं थोड़ी देर विश्राम कर घर की ओर रवाना हो गए ।माउण्ट रेनियर की यह हाइक कठिन तो अवश्य है लेकिन कुछ पाने के लिये थोड़ी मेहनत तो जरूरी भी है ।
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