Wednesday, 2 July 2025

लॉम्बार्ड स्ट्रीट,पीयर 39,स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी(अमेरिका यात्रा 2)

रात्रि विश्राम के बाद अब सैन फ्रांसिस्को में हमारा दूसरा दिन सोलह जून की सुबह हम सब आराम से सो कर उठे।प्रात: नाश्ते और फिर दोपहर के भोजन के बाद लगभग दोपहर को लगभग दो बजे हम घूमने के लिए निकल गए।सबसे पहले हमने लॉम्बार्ड स्ट्रीट जाने का कार्यक्रम बना।ललॉम्बार्ड स्ट्रीट,सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया में स्थित है, और इसे "दुनिया की सबसे टेढ़ी सड़क" के रूप में जाना जाता है|इसका अधिकांश पश्चिमी भाग यूएस रूट 101 का हिस्सा है। आप इस छोटी सी साँप की तरह टेढ़ी मेढ़ी घुमावदार सड़क से केवल नीचे की तरफ़ ड्राइव कर सकते हैं, ऊपर आने के इस गली का दूसरा सिरा अन्य सड़क से जुड़ा है जिसके माध्यम से वापस ऊपर आया जा सकता है ।हम भी यहाँ पहुचे और पहले इस छोटी से सड़क को अच्छी तरह देखा,इसकी लंबाई कोई अधिक नहीं है लेकिन यह एक घुमावदार रास्ता है जिसके दोनों तरफ़ लोगों के घर भी बने हुए हैं।सैन फ्रांसिस्को शहर बड़ा भीड़भाड़ वाला शहर है।यहाँ लोकल बस,ट्रेन और ट्राम भी चलती है।हर थोड़ी देर में लोकल बस दिखाई दे जाती है जबकि सिएटल में लोकल सिटी बस की संख्या अपेक्षाकृत कम है। यहाँ सड़कों पर ट्रेफिक देखकर भारत की सड़कों पर ट्र्फ़िक की याद आ गई।यह कैलिफोर्निया का चौथा सबसे बड़ा शहर है शहर की आबादी लगभग आठ लाख चौहत्तर लाख है जबकि पूरे महानगर की आबादी सैंतालीस लाख से अधिक है।मुख्य शहर जिसे यहाँ डाउन टाउन कहा जाता है,में हर स्थान पर कारों की लाइने लगी हुई रहती हैं।यह पूरा शहर प्रशांत महासागर के किनारे पर बसा है।इसकी बसावट भी पहाड़ी क्षेत्र की तरह कहीं ऊँचाई पर सड़क जाती है तो दूसरे ही पल सड़क नीचे की तरफ़ चली जाती है।लेकिन यहाँ की सड़कें चौड़ी और यातायात व्यवस्थित स्व अनुशासन से ही चलता रहता है।कहीं भी कोई ट्रफ़िक पुलिस वाला नज़र नहीं आया और कहीं भी जाम की स्थिति भी नहीं आई। लॉम्बार्ड स्ट्रीट के बाद वही पास ही “पियर 39” है।यह एक समुद्रतट बहुत बड़ा बाजार है।सैन फ्रांसिस्को के उत्तरी जल तट पर स्थित पियर 39 स्थित है, जो समृद्ध इतिहास, खूबसूरत वास्तुकला, और जीवंत सांस्कृतिक दृश्यों का एक अनूठा मेल है। 1905 में एक साधारण पियर के रूप में शुरू होकर, यह अब एक अद्वितीय सुंदर स्थान बन गया है, जो हर साल 15 मिलियन से अधिक आगंतुकों को आकर्षित करता है । प्रसिद्ध उद्यमी वॉरेन सिमन्स द्वारा निर्मित और 4 अक्टूबर 1978 को जनता के लिए खोले गए पियर 39 में खरीदारी, भोजन, मनोरंजन और अनेक तरह की दुकाने हैं।हम जब वहाँ पहुँचे तो देखा एक जादूगर अपने जादू से सभी का मनोरंजन कर रहा था।आसपास विविध तरह की खानपान की स्टॉल लगी है।कई दुकाने तरह तरह के कपड़ों की भी लगी हैं।समुद्र के तट पर हमने देखा कि अनगिनित सी लॉइन और सील मछलियाँ वहाँ बनाए गए लकड़ी के बहौत सारे प्लेटफार्म पर आराम कर रही थी।सी लॉइन ऑए सील लगभग एक जैसे ही दिखाइ देते हैं लेकिन वहाँ एक बोर्ड पर इन दोनों का अंतर लिखा था जिसमे लिखा था कि सी लॉइन के कान दिखाई देते हैं जबकि सील के कान दिखाई नहीं देते।कान के स्थान पर मात्र एक छेद होता है।हम कुछ देर वहाँ रुके लेकिन वहाँ पर अधिक समय तक नहीं रुका जा सकता क्योंकि इनके शरीर से एक विशेष बदबू आती है जिस कारण थोड़ी देर बाद ही हम वहाँ से हटकर बाजार का अवलोकन करने लगे।जहाँ से हमने कुछ टी शर्ट ली और वहाँ से आगे के लिए रवाना हो गए। यहाँ से हम अब
के लिए चल दिए।यूनिवर्सिटी पहुंचते पहुंचते हमे लगभग शाम के छ: बज गए थे ।यूनिवर्सिटी परिसर में पहुचा तो देखा बहुत ही बड़ा परिसर है।स्टैनफोर्ड की स्थापना एक संयुक्त राज्य के और कैलिफोर्निया के लेलेंड स्टैनफोर्ड द्वारा की गई थी, जिनकी पत्नी का नाम जेन स्टैनफोर्ड था। इसका नामकरण उनके एकमात्र बेटे लेलेंड स्टैनफोर्ड जूनियर के सम्मान में गया, जो अपने 16वें जन्मदिन से ठीक पहले मृत्यु को प्राप्त हो गया. उनके माता-पिता ने इस विश्वविद्यालय को अपने ही बेटे को समर्पित करने का फैसला किया और लेलैंड स्टैनफोर्ड ने अपनी पत्नी से कहा कि, "कैलिफोर्निया के बच्चे हमारे बच्चे होंगे."14 मई 1887 को आधारशिला रखी गई और योजना और निर्माण के छह साल बाद विश्वविद्यालय को आधिकारिक तौर पर 1 अक्टूबर 1891 को खोला गया, जिसमें 559 छात्र और 15 शिक्षक थे जिसमें सात कार्नेल से थे।।जब स्कूल खोला गया तब छात्रों से ट्यूशन के लिए राशी नहीं ली गई।स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य *"Die Luft der Freiheit weht"* (डी लुफ्ट डेर फ़्राइहाइट वेट) प्रेसीडेंट जॉर्डन द्वारा चयनित है। यह जर्मन से अनुवादित है, इस उद्धरण ’उलरिश फ़ौन हट्टन’ का अर्थ है "स्वतंत्रता की हवा बहती है। " यह आदर्श वाक्य प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तब विवादास्पद था जब जर्मनी में हर चीज़ पर संदेह किया जाता था; उस समय विश्वविद्यालय ने इस बात से इनकार किया कि यह उनका आधिकारिक आदर्श वाक्य है। इस विश्व विधालय को को एक सहशिक्षा संस्था के रूप में स्थापित किया गया था।लेकिन महिलाओं द्वारा बड़ी संख्या में दाखिला लेने की वजह से जल्दी ही जेन स्टैनफोर्ड ने एक नीति की शुरूआत की जिसके तहत केवल 500 महिला छात्र ही दाखिला ले सकती थी। वह नहीं चाहती थी कि यह स्कूल "द वस्सर ऑफ द वेस्ट" बने क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि ऐसी हालत में यह उनके बेटें के लिए एक उपयुक्त स्मारक नहीं बन पाएगा।इसलिए 1933 में इस नीति को संशोधित किया गया जिसके तहत पूर्व स्नातक के लिए स्त्री पुरुष का अनुपात 3:01 निर्दिष्ट किया गया।यह 3:1 का "स्टैनफोर्ड अनुपात" 1960 के दशक तक बनाए रखा गया. 1960 के दशक के अंत तक पूर्व स्नातक के "अनुपात" को 2:1 रखा गया, लेकिन 2005 तक, स्नातक नामांकन के लिए लिंगों के बीच विभाजन लगभग समान हो गया, लेकिन स्नातक स्तर पर पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में बढ़कर लगभग 2:01 हो गई।स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय 8,180-एकड़ (3,310 हेक्टर) क्षेत्र में फैला हुआ है।एक वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के बीच स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक कार्यक्रम को चौथा स्थान दिया गया है और अमेरिका में यह दूसरे स्थान पर है। यहाँ पर खेलों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।खेल के लिए बड़े बड़े खेलमैदान यहाँ मिल जाएँगे।महिला और पुरुषों की टीमें अंतर महाविद्यालय खेल के अतिरिक्त ग्रीष्म ओलंपियाड में भी अपना विशेष स्थान रखती हैं।*स्टैनफोर्ड डेली* के मुताबिक स्टैनफोर्ड प्रत्येक ग्रीष्म ओलंपियाड में 1908 से लगातार भाग ले रहा है,2004 में स्टैनफोर्ड के एथलेटिक्स ने ग्रीष्म खेलों में 182 ओलंपिक मेडल जीते थे। वास्तव में 1912 से लेकर लगातार हर एक ओलम्पियाड में स्टैनफोर्ड के एथलेटिक्स ने कम से कम एक पदक से लेकर 17 पदक तक जीता है।स्टैनफोर्ड एथलेटिक्स ने 2008 समर खेलों में 24 पदक जीते, जिनमें 8 स्वर्ण पदक, 12 रजत पदक और 4 कांस्य पदक हैं। यहाँ के परिसर में बहुत बड़े बड़े हरेभरे पार्क चारों तरफ़ बड़े बड़े पेड़ लगे हैं।जिस समय हम वहाँ पहुचे उस समय कला वर्ग के छात्र-छात्राओं को डिग्रियां वितरित हुई थी।वे अपने काला गाउन पहने अपने हाथों डिग्रियां लिए परिसर में अपनी फोटो खिचवा रहे थे।यहाँ लगभग सभी संकायों में स्नातक और स्नातकोत्तर ,एम बी ए ,के अतिरिक्त ही साथ ही इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज भी इस परिसर में हैं।कला वर्ग की अलग गिर्घा यहाँ पर है जिसमें बहुत ही सुंदर ऐतिहासिक कलाकृतियां कला की बिल्डिंग के बाहर लगी हैं।यहाँ बहुत बड़ी डिजिटल लाइब्रेरी भी है इसमें आठ मिलियन पुस्तकों का संग्रह है। यहाँ परिसर इतना बड़ा है कि पैदल पूरे परिसर में घूमना बड़ा ही कठिन कार्य है।इस समय महें रात्रि के लगभग साढ़े सात से अधिक का समय हो गे था,लेकिन यहाँ पर सूर्यास्त लगभग नो बजे होता है इसलिए इस समय भी अच्छी धूप थी।यहाँ एक बहुत ही अजीब बात हमें देखने को मिली कि कहीं पर भी कोई मुख्य द्वार जैसा नजर नहीं आया।परिसर में भी चौड़ी सड़कें थी।यूनिवर्सिटी का नाम हमने ढूँढने की बहुत कोशिश की लेकिन कहीं भी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अलग से लिखा हुआ हमें नहीं मिल पाया।चारों तरफ़ घूमाने के बाद अब घर वापसी की तैयारी थी ।अत: हम अपने विश्राम स्थल की और चल दिए।

No comments:

Post a Comment

लॉम्बार्ड स्ट्रीट,पीयर 39,स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी(अमेरिका यात्रा 2)

रात्रि विश्राम के बाद अब सैन फ्रांसिस्को में हमारा दूसरा दिन सोलह जून की सुबह हम सब आराम से सो कर उठे।प्रात: नाश्ते और फ...