Tuesday, 1 July 2025

4.रेडवुड नेशनल पार्क कैलिफोर्निया (अमेरिका यात्रा 2)

रेडवुड पार्क चार अविश्वसनीय पार्कों का एक परिसर है, जिसका प्रबंधन नेशनल पार्क सर्विस और कैलिफोर्निया स्टेट पार्क द्वारा साझेदारी में किया जाता है। ये चार पार्क रेडवुड नेशनल पार्क, जेडीया स्मिथ रेडवुड्स स्टेट पार्क, डेल नॉर्टे कोस्ट रेडवुड्स स्टेट पार्क और प्रेयरी क्रीक रेडवुड्स स्टेट पार्क हैं। इन पार्कों में कुल मिलाकर दुनिया के बचे हुए प्राचीन तटीय रेडवुड वनों का 45% हिस्सा शामिल है। यह इतनी शानदार और इतनी कीमती जगह है कि इसे स्टोनहेंज, मिस्र के पिरामिड और ग्रेट बैरियर रीफ के साथ यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का नाम दिया गया है।
हर साल दुनिया भर से 10 लाख से ज़्यादा लोग यहां आते हैं।20वीं सदी की शुरुआत में, कैलिफोर्निया के लगभग सभी पुराने तटीय रेडवुड लकड़ी उद्योग द्वारा काट दिए गए थे, लेकिन कुछ प्रकृति प्रेमियों ने आगे आकर इन बचे हुए पेड़ों की रक्षा की। और यह  ’रेडवुड्स राइजिंग’ नामक एक संस्था के माध्यम से आज भी जारी है , इन्होंने नेशनल पार्क सर्विस और कैलिफोर्निया स्टेट पार्क के साथ मिलकर 70,000 एकड़ से अधिक क्षतिग्रस्त जंगल को पुन: उसके पूर्व स्वरूप में लौटाया। यहाँ पर सैंकड़ो वर्ष पुराने घने पेड़ मिल जाएँगे।इन पुराने पेड़ों का तना इतना बड़ा है कि हम चार लोगों ने अपने दोनों हाथ फैलाकर घेरने की कोशिश की तो भी लगा कि अभी कमसे कम चार लोग और मिलकर चैन बनायें शायद तब भी हम इसके तने को नहीं पकड़ पाएंगे अर्थात् लगभग पचास फीट मोटा इनका ताना रहा होगा।इनकी ऊँचाई भी लगभग दो सो फीट से अधिक होगी।कहते हैं कि यहाँ कुछ पेड़ तीन सो फीट से भी अधिक के हैं अर्थात् एफिल टावर से भी अधिक ऊँचे हैं। रास्ते में घने जंगलों में एक स्थान पर हम दुनिया के सबसे लंबे पेड़ों को देखने के लिए एक सुनसान रास्ते की और मड गए। इस रास्ते पर यातायात न के बराबर ही था सड़क भी कम चौड़ी है।इस समय शाम के लगभग सात बजे थे।हम कुछ मील ही आगे बढ़े होंगे कि सुनसान रास्ता देखकर हम वापस मुख्य सड़क की ओर मड गए।वापस आते समय फिर मन में आया कि चलकर देखते हैं।शाम ढलने का समय हो रहा था।फिर भी एक बार पुन: हम मड कर लोंगेस्ट ट्री देखने के लिए चले ही थे कि सड़क के किनारे बिकुल हमारी कार के समीप ही एक भालू पर नजर पड़ी,जिसे देखते ही हम कुछ दूर जाकर एक बार फिर वापस मुख्य सड़क कि तरफ़ मुड़ गए क्योंकि हो सकता था कि आगे अन्य कोई हिंसक जानवर मिल गया तो स्थिति विकट हो सकती है।वापसी पर हमने देखा कि वह भालू अभी भी सड़क के किनारे खड़ा था।यहाँ हमने देखा की वहाँ अकेला नहीं था उसके साथ एक और भाकू भी नजर आया।उससे कुछ दूरी पर हमने उसके कुछ वीडियो भी बनाये लेकिन हमने अपनी कार की खिड़किया बंद ही रखी। इस घने जंगलों से होते हुए हम रात्रि को लगभ आठ बजे पूर्व बुक कराए हुए होटल हॉलिडे इन में पंहुच गए।इस समय यहाँ पर अच्छी धूप होने के बाद भी तेज हवाओं के कारण ठंड थी।यह होटल रेडवुड क्षेत्र में ही यूरेका में है।यहाँ पर रूम में सामान रखकर कुछ समय आराम किया और उसके बाद रास्ते में पैक कराया हुआ भारतीय खाना खाया और रात्रि विश्राम के बाद अब पुन: तीसरे दिन की यात्रा सुबह के नाश्ते के बाद शुरू हो गई।हमारी कार इलेक्ट्रिक है इसलिए रास्ते में जहाँ भी कोई चार्जर पॉइंट मिलता वहीं पर कुछ समय रुककर हम कार जरूर चार्ज कर लेते थे ताकि रास्ते में परेशानी न हो।
तीसरे दिन 14 जून को प्रात: साढ़े नो बजे हम यूरेका से रवाना हो गए थे।आज भी हमे दिन भर रेडवुड पार्क के घने जंगलों से गुजरना था।यह रास्ता समुद्र के किनारे से होकर ही गुजरता है। कहीं समुद्र कि किनारा तो कहीं वापस घने जंगलों के बीच से सड़क थी।कहीं कहीं तो इतने घने जंगल थे कि लगता है जैसे धूप को भी जमीं तक आने के लिए बड़ी मुश्किल से रास्ता मिल रहा था।लगा रहा था कि ऊँचे ऊँचे पेड़ो के बीच से सूर्य देव नीचे झांकने की कोशिश में लगे हैं लेकिन कहीं कहीं वे असफल हो रहे हैं।हालांकि तेज धूप के कारण प्रकाश आ रहा था लेकिन जब कभी दिन में बादलों की ओट में सर्सज़ आ जाता होगा तो निश्चित ही यहाँ दिन में भी घना अँधेरा छा जाता होगा।कहीं कहीं पुराने बूढ़े वृक्ष जड़ों से उखाड़ कर अपनी आयु पूर्ण करने के कारण ज़मीन पर पड़े थे ।ये अधिकांश पेड़ बहुत लंबे और बहुत ही मोटे आकार के तने वाले थे जिन्हें देख कर स्पष्ट लग रहा था कि ये पेड़ कई सो साल पुराने ही होंगे। दोपहर को लगभग दो बजे हम हमने रास्ते में ही एक स्थान पर कार चार्ज के लिए लगाई और भोजन की तलाश की लेकिन यहाँ पर कोई रेस्टोरेंट ऐसा नहीं मिला जिस पर भारतीय भोजन मिल सके इसलिए हमने एक रेस्टोरेंट में वेजी सैंडविच खाया और आगे के लिए रवाना हो गए।यहाँ से हमें गोल्डन गेट ब्रिज होते हुए सैन फ्रांसिस्को पहुचना था। हम लगभग सायं साढ़े चार बजे गोल्डन गेट ब्रिज पहुंच गए।यहाँ एक पुल है गोल्डन गेट नाम ब्रिज के रंग को संदर्भित नहीं करता है, यह **प्रशांत महासागर** से सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के प्रवेश द्वार का नाम है, जिसे गोल्डन गेट स्ट्रेट कहा जाता है।इस खाड़ी के नाम पर ही इस शहर का नाम सैन फ्रांसिस्को पड़ा होगा।इस गोल्डन गेट ब्रिज का निर्माण 1837 में हुआ उस समय यह समुद्र पर दुनिया का सबसे बड़ा झूलता हुआ पुल था।यहाँ पहुँच कर हम जैसे ही कार से बाहर निकले तो देखा वहाँ पर बहुत ही तेज ठंडी हवाएं चल रही थी।पुल के ऊपर बादल इधर उधर तैरते दिख रहे थे।ठंडी हवाओं के कारण हम, सभ ने गर्म जैकेट पहनी और गोलदेब गेट ब्रिज के नीचे पर्यटकों के लिए कुछ स्थान बनाये थे उसी तरफ़ हम भी चल दिए।नीचे समुद्र तट तक बढ़िया पक्की पगडंडी जैसी सड़क बनी थी जिसपर नीचे उतर कर समुद्र विशाल स्वरूप को देखा।दूर समुद्र के बीच की ओर एक टापू पर एक बिल्डिंग नजर आ रही थी।कहते वह कभी जेल के रूप में उपयोगी होती थी।समुद्र के इस तट पर चारों तरफ़ भूत ही हरियाली है। आसपास रंग बिरंगे फूल भी लगे थे साथ ही विविध तरह के लंबे लंबे पेड़ हैं।कुछ पेड़ तो इस प्रकार से लगा रहे थे मानों प्रकृति ने विशाल छतरियां बना रखी हों।हमने कुछ देर वहाँ के कुछ मनोरम दृश्यों को कैमरे में क़ैद किया और ऊपर की तरफ़ वापस आए तो देखा कि यहाँ भी एक विज़िटर ऑफिस था जहाँ कुछ लोग वहाँ की मोहर कागज पर,तो कुछ अपनी डायरी में लगा रहे हैं।इस तरह की मोहर यहाँ के अलग अलग फारेस्ट में जाने पर भी लोग लगते हैं ताकि उनके पास वहाँ पहुँचने का प्रमाण उनके पास रहे।यहाँ पर एक स्टाल भी है जिसपर विविध तरह के सामान बिक्री के लिए रखें हैं,जिनपर सैन फ्रांसिस्को या कैलिफ़ोर्निया लिखा था।
ठंडी हवाएं बहुत तेज होने के कारण हम वहाँ से तुरंत कार की तरफ़ आ गए और यहाँ से सैन फ्रांसिस्को में रात्रि विश्राम स्थल की तरफ़ रवाना हो गए।यहाँ पर हमने ईयरबीन बी बुक किया था यहाँ पर हमें तीन दिन रुकना था क्योकि यह बहुत ही बड़ा शहर है।लेकिन वहाँ तक पंहुचने से पूर्व हम यहाँ की सिलिकॉन वैली पहुचे जहाँ पर अनेकों आई टी कंपनियों के कार्यालय हैं।वहाँ हम मेटा के कार्यालय तक गए जिसका बहुत ही बड़ा कैंपस है।मुख्य द्वार के पास ही मेटा का निशान बना था और वहाँ लिखा था “1 हैकर्स वे” । अंदर पार्किंग तक ही जाने की परमिशन होती है इससे आगे केवल वहाँ काम करने वाले ही जा सकते हैं।यह कैम्पर बहुत बड़ा होने से कर्मचारियों के लिए अपने अपने ऑफिस तक जाने के लिए साइकिलें रखी हैं जीका उपयोग वे यहाँ से आगे जाने के लिए करते हैं।इसके बाद ऐपल के कार्यालय के कैंपस तक गए वहाँ भी अंदर जाना माना था।बाहर से कैंपस को देख कर वापस आगये।यह भी बहुत बड़े परिसर में फैला हुआ है।गूगल,माइक्रोसॉफ्टआदि अन्य सभी छोटी बड़ी कंपनियों के कार्यालय भी यही पर हैं। वहाँ से आने के बाद हम शाम को लगभग साढ़े सात बजे अपने निश्चित विश्राम स्थल पर पहुंचे जो कि बहुत बड़ा घर है।चार कमरों में आठ बेड रूम हैं।दो लिविंग रूम और रसोई,पीछे छोटा सा पार्क आदि सभी सुविधाओं से युक्त यह घर है।यहाँ हमने तीन दिन,चार रात विश्राम करना है।आज हमारी शादी की उनतालीसवीं वर्षगाँठ भी थी इसलिए बेटे बहू ने रास्ते में ही भारतीय भोजन के एक अच्छे होटल की बुकिंग करा दी थी।भारत के मशहूर शेफ संजय कपूर का होटल येलो चिली बुक किया गया था।आठ बजे के निश्चित समय हम वहाँ पहुँच गए और बढ़िया,स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हुए हमें लगा ही नहीं कि हम अमेरिका कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में भोजन कर रहें है। वहाँ आस पास के टेबल पर बैठे अधिकांश लोग भारतीय परिवारों से ही दिखाई दे रहे थे जो सभी आपस में हिंदी में ही बात कर रहे थे,इनके बीच कुछ अन्य देशों के लोग भी भारतीय भोजन का आनंद लेते हुए दिखाई दिए।

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