Wednesday 8 February 2023

दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा (3)

 दार्जिलिंग की दूसरी सुबह ——-

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दार्जिलिंग से गैंगटोक ——-

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हमारे टूर मैनेजर ने बताया कि सुबह नो बजे तक हम दार्जिलिंग से निकल लेंगे तो ठीक रहेगा क्योंकि कभी कभी ट्रेफ़िक के कारण देरलग सकती है  वैसे दूरी अधिक नहीं है केवल 96 km ही है लेकिन ऊँची नीची पहाड़ियों में घुमावदार रास्ता है इसलिए 5-6 घंटे कासमय लग जाता है 

                सिक्किम से हमारे लिए दूसरी कार सुबह साढ़े आठ बजे ही  गई थी ।कार ड्राइवर पद्म क्षेत्री का फ़ोन  गया था की तैयार होकरआप होटल से बाहर निकलें तो फ़ोन कर देना क्योंकि ट्रेफ़िक के कारण वहाँ कार खड़ी नहीं कर सकते  हम सवा नो बजे तैयार होकरहोटल के बाहर  गये और अब एक नया सफ़र गैंगटोक ( सिक्किम ) के लिए शुरू हो गया था 

रास्ते फिर वही टेढ़े मेढ़े लेकिन दार्जिलिंग से बाहर निकलने के बाद सड़क मार्ग काफ़ी अच्छा था  यहाँ की सड़क चौड़ी थी जिससे रास्ताकुछ आसान हो गया था  सड़क मार्ग के साथ साथ तीसता नदी में भी कही कम तो कहीं अधिक पानी भी बह रहा था  ड्राइवर ने बतायाकि नदी के दूसरी तरफ़ सिक्किम है और इस तरफ़ पश्चिमी बंगाल है  यह नदी दोनों प्रदेशों की सीमा रेखा है ।बीच में रेलवे सुरंगनिर्माण का कार्य भी चल रहा था ।मालूम हुआ कि इसके निर्माण होने पर सिक्किम सीधा रेल मार्ग से भी जुड़ जाएगा और छः घंटे का सफ़र 






 45-60 मिनिट में ही पूरा हो जाएगा 

                 एक स्थान “रेंगपो “पर हमने पुल से नदी पर की और सिक्किम में हमारा प्रवेश हो गया  यहाँ सिक्किम चेक पोस्ट थी  सिक्किम केविषय में सुना था कि साफ़ सुथरा राज्य है   सीमावर्ती राज्य होने के कारण पुलिस और मिल्ट्री जगह जगह पर तैनात थी ।रास्ते लेलगभग डेढ़ बजे हम रानी फूल पहुँचे तो हमारे ड्राइवर ने बताया की यहाँ अच्छा शाकाहारी भोजन मिल जाएगा  इसलिए हमने वहींआराम से भोजन किया और लगभग दो बजे वहाँ से रवाना हुए  हालाँकि दूरी केवल 15 km ही थी  लेकिन फिर भी गैंगटोक में प्रवेशहोते ही ट्रेफ़िक के कारण होटल पहुँचने में लगभग साढ़े तीन बज गये  यहाँ पहुँचने से पूर्व ही श्रीमती की एक परिचित मित्र अंकिता  सेअचानक बातचीत में मालूम हुआ की कि वह यहीं है तो वह हमें होटल पर ही मौजूद मिली ।वह यहीं किसी कंपनी में कार्यरत है ।यहाँपहुँच कर आज आराम ही करना था ।दूसरे दिन सुबह नो बजे से फिर यहाँ स्थानीय जगहों पर घूमने का कार्यक्रम था। शाम की कुछदेर बाज़ार में घूमने के बाद हमने भी होटल में आराम करना ही उचित समझा  

डा योगेन्द्र मणि कौशिक 

कोटा 

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