गैंगटोक की पहली सुबह
आज सुबह नो बजे का समय था । हम नाश्ता करके तैयार थे । हमारी कार भी समय पर आ गई थी । आज गेम गैंगटोक में ही कुछदर्शनीय स्थल देखने थे । हनुमान टोक, गणेश टोक, ज़ू,फ्लावर शो ,bakthang waterफॉल, दारुल chorten स्तूप, तिब्बतोलॉजीइंस्टीट्यूट, और ताशी व्यू पॉइंट
सबसे पहले हम हनुमान टोक पर गये । जहाँ पर काफ़ी ऊँचाई पर हनुमान मंदिर था । जिसकी देखभाल कैट रेजिमेंट के जवान करते थे ।बडी ही व्यवस्थित , सुथरी व्यवस्था देख कर बहुत अच्छा लगा ।पुजारी भी एक सैनिक ही था । इस जगह का विवरण पढ़ा तो मालूमहुआ कि हनुमान जी संजीवनी लाते समय यहाँ कुछ देर रुके थे ।
वहाँ से गणेश टोक पर गणेश मंदिर में दर्शन किए । गणेश टोक के सामने ही ज़ू था ।जिसमें हम कार से ही अंदर गए लगभग तीनकिलोमीटर पर कार पार्किंग कर पैदल ही घूमना था ।आज मौसम बहुत ठंडा था । कुछ बादल भी थे । बताया था कि यहाँ रेड पांडा हैलेकिन वो शायद सर्दी के कारण कहीं छिपा था ।अन्य कोई जानवर नहीं था विविध तरह के पेड़ पौधे ज़रूर थे । वैसे चारों ओर हरियालीतो थी । तरह तरह के पक्षी ज़रूर देखने को मिले ।
वहाँ से बायोलॉजिकल और फ्लावर पार्क, bakthang वॉटरफॉल में गये।जिसमें रैग बिरंगें फूल , जड़ी बूटियों वाले औषधीय पेड़ पौधेइस पहाड़ी पर थे । ऊपर बहुत ऊँचाई से झरना गिर रहा था । लेकिन पानी अभी लाभ था । शायद बरसात होने पर ओर अधिक तेजबहता हुआ ।फिर भी नज़ारा बहुत ही सुंदर था । लेकिन बादल बढ़ते जा रहे थे ।
वहाँ से ताशी पॉइंट पर जाकर चारों और का नज़ारा देखने की कोशिश की लेकिन बादल होने के कारण वहाँ से कुछ दिखाई नहीं दे रहाथा । फ्लावर शो में फूलों की अनेक प्रजातियाँ थी । तिब्बती इंस्टिट्यूट में बोद्ध धर्म के बारे में जानकारियाँ भी थी । वैसे भी यहाँ बोद्धअधिक हैं । दारुल चोरटेन स्पूत में भी बोद्ध स्पूत बनी हुई थी । शाम को लगभग तीन बजे हम वापस होटल आ गए ।
हमारे पैकेज में फ़ोटो शूट भी था । जिसकी जानकारी हमें फ़ोटोग्राफ़र के फ़ोन से मिली । शाम को पाँच बजे फ़ोटो शूट के लिए MG marg मार्केट गए वहाँ पर फ़ोटो शूट का भी एक नया ही अनुभव मिला ।क्योंकि हमारे समय तो शादी की फ़ोटो में भी कुछ दूरियाँ बनीही रहती थी और आस पास कोई फ़ोटो खींचते देख तो नहीं रहा है । इसका भी ध्यान रखते थे ।
आज का कार्यक्रम समाप्ति के पूर्व ही दूसरे दिन सुबह का कार्यक्रम हमें मिल गया ।अब अगले दिन हमें चेंगू लेख, और बाबा मंदिर जानाथा । जो समुद्र तल से 14000 ft से भी अधिक ऊँचाई पर है। सर्दी के विशेष कपड़े पहन कर जाने के निर्देश मिले थे ।इतनी ऊँचाई परजाने में श्रीमती जी कुछ घबरा रही थी लेकिन फिर भी ड्राइवर से रास्ते की जानकारी लेकर संतुष्ट होने पर ही उन्होंने ड्राइवर को सुबहआठ बजे आने की अनुमति दे ही दी ।
डा योगेन्द्र मणि कौशिक
कोटा
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