Wednesday 8 February 2023

दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा (5)

 गैंगटोक दूसरी सुबह 

————————


आज हम सुबह आठ बजे यहाँ की सबसे अधिक ऊँचाई वाली तथा चर्चित जगह बाबा मंदिर और changu lake जाने वाले थे  बाबामंदिर के पास ही नाथूला पास भी है जिसकी ऊँचाई समुद्र तक से 14140 फिट है ।यह चीन और भारत की सीमा भी है  इसलिए इसका महत्व अधिक है 

            यहाँ के लिए पूर्व में ही सेना से परमिट लेना होता है  हमारे टूर मैनेजर ने पहले ही हमारे फ़ोटो और ID ,मंगा लिए थे  आई डी में यहाँआधार कार्ड मान्य नहीं है इसलिए हमने ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी और फ़ोटो पहले ही भेज दिया था  जिसके आधार पर ड्राइवरपरमिट लेकर सुबह साढ़े आठ बजे होटल  गया था  उन्होंने बताया कि केवल 11 :00बजे तक ही वहाँ चेक पोस्ट से प्रवेश होगा उसके बाद प्रवेश बंद हो जाता है 

      बाबा हरभजन सिंह के मंदिर के लिए चेक पोस्ट पार करके जैसे जैसे आगे बढ़े , पहाड़ों की ऊँचाई भी बढ़ने लगी  बीच बीच में बादलबहुत अधिक हो गये थे  कही कहीं तो हमारी कार बादलों चीरती हुई आगे बढ़ रही थी  कभी कभी तो एकदम अंधेरा छा जाता था औरआस पास कुछ नहीं दिखाई देता था  हालाँकि अभी सुबह  के साढ़े नो ही बजे थे  लेकिन यहाँ के ड्राइवर रस्तों और उनके मिज़ाज सेअच्छी तरह परिचित थे  उन्होंने बताया कि  वापसी में दोपहर बाद 2-3 बजे बादल और भी अधिक रहेंगे 

            रास्ते में कई जगह चाय , कॉफ़ी बेचने वाली सिक्किम की महिलायें खड़ी थी  हमने भी बीच में गरमागरम कॉफ़ी का आनंद लिया लेकिन जैसे ही कार से निकले तो बाहर बहुत तेज ठंडी हवायें चल रही थी  वहाँ अधिक देर खड़े रहना मुमकिन नहीं था  

           आगे चलकर हम बाबा मंदिर और नाथूला पास के रस्तों को अलग करने वाले तिराहे पर पहुँचे  वहाँ से एक तरफ़ नत्थूलाल 4 kmतोदूसरी ओर बाबा मंदिर 5 km था।ड्राइवर ने बताया की यदि नाथूला जाना है तो उसके लिए दूसरी बड़ी गाड़ी में जाना होगा ।हम दूसरीगाड़ी में बैठ गये , सोचा जब यहाँ आये ही हैं तो क्यों  नाथूला भी हो कर आयें।दूसरी गाड़ी से निर्धारित स्थान पर उतरे  वहाँ हमें बतायाकि ऊपर भारत चीन की सीमा है ।दोनों देशों के अलग अलग सुरक्षा टावर , बिल्डिंग और झंडे नीचे से दिख रहे थे 

          हवा बहुत ही ठंडी चल रही थी लगभग सो फिट की ऊँचाई तक हमें पैदल चढ़ाना था  एक तो ठंडी हवा और साथ ही ऑक्सीजन कीकमी के कारण चढ़ाना बड़ा ही टेढ़ा काम था  कुछ कदम चलने पर ही साँस फूलने लगती थी  एक सैनिक से रास्ते में श्रीमती जी नेऑक्सीजन के लिए कहा तो उसका जवाब था कि चिंता मत करो धीरे धीरे ऊपर जाओ  रुक रुक कर लम्बी साँस लेते रहो मंज़िल तकपंहुच जाओगे  हमने एसा ही किया ।कुछ सीढ़ी चढ़ने और फिर रुक कर अच्छी तरह साँस लेते ।इस तरह ऊपर बॉर्डर पर पहुँच कर लगाजैसे हमने बहुत बड़ी चढ़ाई कर विजय पास की हो ।बीच बीच में श्रीमती जी पूछती रही ,”तबियत ठीक है , कोई दिक़्क़त तो नहीं ” यहसुन कर लगता जैसे वरिष्ठ नागरिक के साथ युवा केयर टेकर साथ है  हिम्मत करके हम अब यहाँ 14140 फिट की ऊँचाई पर पहुँच हीगए। यहाँ पहुँच कर हम दोनों वरिष्ठ नागरिकों का फ़िटनेस टेस्ट भी हो गया  क्योंकि हमने देखा कि कुछ युवा लोग भी साँस नहीं पाने के कारण बीच से ही वापस लौट रहे थे  हालाँकि चार  वर्ष  पहले हम स्पीती में 14500 फिट की ऊँचाई तक भी जा चुके थे वहाँविश्व का सबसे ऊँचा पोस्ट ऑफिस था 

              ऊपर पहुँच कर देखा कि एक तरफ़ भारत की बिल्डिंग थी दूसरी तरफ़ चीन की  ऊँचाई पर दोनों देशों के , निगरानी के लिए टावर थे , अपने अपने राष्ट्रीय झंडों के साथ  बीच में कँटीले तार की बाढ़ लगी थी  हालाँकि ये तार नाम मात्र के ही थे कहीं कहीं टूटे हुए भी थे ।कुछ दूरी पर मोटी दीवार भी बनी थी जो कि इस पहाड़ी को दो देशों में विभाजित कर रही थी  तेज ठंडी हवा में खड़े रह पाना बड़ा हीमुश्किल था  सेल्यूट हमारे जवानों को जो की  इस तरह के मौसम में भी यहाँ डेट रहते हैं। अभी कुछ दिनों में यहाँ बर्फ गिरनी भी शुरू होजाएगी तब तो स्तिथि और भी भयावह हो जाती होगी 

            यहाँ से हम वापस नीचे आकर अपनी कार में बैठ कर बाबा हरभजन सिंह मंदिर पहुँच गए  वहाँ पहुँचने से कुछ पहले ही एक बहुत ऊँचाभारत का झंडा दिखाई देने लगा था ।दूसरी ओर एक पहाड़ी पर भोलेनाथ की विशाल मूर्तिऔर पार ही एक झरना जिसका पानी बर्फ मेंजमा हुआ था 

                बाबा हरभजन मंदिर में किसी भगवान की नहीं बल्कि एक सैनिक की मूर्ति वहाँ थी जो की एक सैनिक के प्रति सम्मान दर्शाता है कहा जाता है कि यह पंजाब का यह सैनिक देश की रक्षा करते हुए किसी नाले में गिर गया था और उसका शरीर नहीं मिला  कुछ दिनोंबाद सैनिक हरभजन सिंह किसी के स्वप्न में आये और उनकी स्मृति में मंदिर बनाने के लिए कहाँ तो सैनिकों ने उनकी याद में इसे बनाया जहाँ पर उनका शयन कक्ष , ऑफिस आदि सब बना है  कहते हैं उनकी यूनिफार्म , बिस्तर आदि रोज़ सही किए जाते हैं। लेकिन कभीकभी उनके बिस्तर पर सलवटें मिलती हैं। मान्यता है कि बाबा हरभजन आज भी देश कि सुरक्षा कर रहे हैं।जिससे यह क्षेत्र सुरक्षित है ।यहाँ का पानी भी बड़ा पवित्र माना जाता है  वहाँ उल्लेख किया गया है की यहाँ के पानी का २१ दिन सेवन से जटिल बीमारी ठीक होजाती है ।यहाँ भी ठंड थी पानी की भारी बाल्टी में पानी की ऊपरी पर्त पर बर्फ जमी थी  

           अब यहाँ से वापसी में हम चंगू झील पर कुछ देर रुके  चारों और ऊँची ऊँची पहाड़ियों के बीच यह स्वच्छ जल की झील बड़ी ही सुंदरलग रही थी  पानी बहुत ही ठंडा था  झील के किनारे बहुत से याक रंगबिरंगी वस्रों से सजे खड़े थे ।उनके सिंग भी रंग बिरंगे ऊनी वस्त्रोंसे सजे थे  ये सभी यहाँ आने वाले पर्यटकों को उसपर बैठ कर सैर कराने और फ़ोटो खिंचवाने के लिए थे  हमने भी वहाँ याक परफ़ोटो खिंचाने और सैर करने का आनंद लिया 

           अब वापस चलने का समय था  हम वापस होटल के लिए रवाना हो गए  रास्ते में एक बार फिर बादलों से सामना हुआ। इन बादलोंको चीरते हुए हम लगभग तीन बजे वापस अपने होटल  गए थे  

इस तरह हमारे पाँच दिन पूरे हुए  अब कल सुबह वापस बागड़ोगरा जाकर वहाँ से दिल्ली की फ़्लाइट थी। इस बीच शाम को पाँच बजे हम यहाँ  आर सी बाजार, लाल मार्केट पहुँच गये और कुछ ख़रीदारी भी की जो किभी बाक़ी थी और फिर वापस होटल  गए  यहाँभी शाम को पाँच बजे ही अंधेरा हो जाता है और राल आठ बजे से बाज़ार बंद होना शुरू हो जाता है 

होटल आकर कल सुबह वापस जाने की तैयारी में सभी सामान जमाना शुरू किया  क्योंकि सुबह साढ़े पाँच बजे तक निकलना था इस तरह दार्जिलिंग - गैंगटोक यात्रा सकुशल समाप्त हुई  अब सुबह हम यहाँ से बहुत सी मीठीसुखद यादें लेकर वापस रवाना होजाएँगे  लेकिन यहाँ अंतर्मन में बनी यादें हमेशा साथ रहेंगी। यह यात्रा इसलिए भी यादगार रहेगी क्योंकि वैवाहिक जीवन के 37 वर्षों केबाद पहला अवसर था जब केवल हम दोनों कहीं इतनी लंबी यात्रा पर घूमने के लिए गये थे 







डा योगेन्द्र मणि कौशिक 

कोटा 

No comments:

Post a Comment

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम

दिल का हो गया ट्रेफिक जाम (मेरी पहली हॉस्पिटल यात्रा और वह भी दिल के रोग के कारण ) ———————- दिसम्बर माह में जैसे ही सर्दी की शु...