Thursday 4 May 2023
प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका यात्रा) 3
(3) अमेरिका की धरती पर ———————————————————————————- सिएटल एयरपोर्ट से बाहर आने
पर का मैंने मेरी फुल मैराथन 42.195 km ( टाटा मैराथन ) का इन्स्पायर मेडल बड़े
बेटे गगन को भेंट किया जो कि मुझे 15 जनवरी 23 को मिला था इस मैराथन में दो मेडल
मिले थे ।फिनिशर के मेडल के साथ एक मेडल इन्स्पायर करने वाले के लिए भी था । बड़े
बेटे गगन ने ही हमें लगभग पाँच वर्ष पूर्व दौड़ने के लिए प्रेरित किया था ।हालाँकि
शुरू में जैसा कि सभी सोचते हैं ,अब इस उम्र में भला क्या दौड़ना । लेकिन ऐसा नहीं
है जब जागो तभी सवेरा ।मैंने भी 59 की उम्र में दौड़ना शुरू किया और कोविड के समय
जब सब बंद था तब रनिंग और अच्छी हुई । कोविड में एक वर्ष में ही ग्यारह सो किलोमीटर
रनिंग पूरी की ।जिससे लगभग पाँच साल में चार हज़ार किलोमीटर से अधिक की रनिंग हो
चुकी है जिसमें दो मैराथन और लगभग बीस हाफ मैराथन शामिल हैं । कार पार्किंग में थी
,वहाँ पहुँच कर अब अमेरिका की सड़कों पर दौड़ने के लिए हमारी कार तैयार थी । एक अलग
तरह का अहसास ,नई सड़कें ,नई राहें ,भारत से एकदम उलट ,यहाँ पर कार ड्राइविंग दाँई
तरफ़ थी जबकि भारत में हम बाँई और चलते हैं । ड्राइविंग सीट भी कार में यहाँ दाँई
ओर ही थी । चौड़ी सड़कें थी लेकिन ट्रेफ़िक काफ़ी कम ,लेकिन कारों की रफ़्तार बहुत
अधिक थी ।सभी कि अपने गंतव्य स्थान पर पहुँचने की जल्दी थी ।सिएटल का चारों ओर का
नज़ारा ऐसा था कि जैसे किसी हिल स्टेशन पर आ गए हों ।सड़क के चारों ओर ऊँचे ऊँचे
चीड़ पेड़ और रंग बिरंगे फूल खिले थे।यहाँ अभी भारत की अपेक्षा ठंड थी ।यहाँ अभी
दोपहर तापमान लगभग पंद्रह डिग्री होगा । बेटा आजकल बैलेव्यू में रह रहा था ।लगभग
आधा घंटे में हम बेलेव्यू घर पर पहुँच गये थे । कार पार्किंग में खड़ी कर लिफ्ट में
पहुँचे ,दूसरी मंज़िल पर ही घर था ।बिल्डिंग में पहुँचने पर लगा जैसे किसी होटल में
प्रवेश कर रहे हैं ।बिल्डिंग में सीढ़ियों से लेकर अंदर सभी कमरों तक कार्पेट बिछी
थी ।यहाँ क्योंकि सर्दी अधिक रहती है इसलिए पूरी बिल्डिंग में कार्पेट लगी थी ।घर
में अंदर पहुँचने पर देखा कि खिड़कियों से बाहर चारों ओर हरियाली थी ।खिड़की के
बाहर हरी घास में रंगबिरंगे फूल और हरे भरे वृक्ष ,कुछ पेड़ों पर अभी पत्तियाँ नहीं
थी जिसपर अभी गर्मियों में पत्तियाँ आने वाली हैं ।सर्दियों में इनकी सारी पत्तियाँ
झड़ गई थी ।भोजन के बाद पूरे दिन आज आराम किया । दूसरे दिन सुबह लगभन छ: बजे बेटे
के साथ डाउन टाउन सिटी पार्क में गए ।जो कि घर से एक किलोमीटर पर था ।काफ़ी बड़ा
पार्क है जिसमें आराम से रनिंग या प्रातः भ्रमण के लिए ,लगभग सात सो मीटर का ट्रेक
बना हुआ था ।सुबह रनिंग के लिए अच्छा स्थान था ।बीच में बहुत सारी बत्तकें पानी में
तैर रही थी ।चारों तरफ़ रंगबिरंगे फूल ,बीच में घास का मैदान ,एक ओर बच्चों के लिए
झूले और खेल के साधन ,सभी काफ़ी अच्छा था ।चारों और साफ़ सुथरा वातावरण ।हमने सोच
लिया था की अब यहीं रनिंग और प्रातः भ्रमण किया जाएगा ।यहाँ सड़कों पर एक विशेष बात
देखी कि यहाँ पर पैदल चलने वालों के लिए विशिष्ट व्यवस्था थी ।पैदल चलने के लिए अलग
पटरी तो थी ही साथ ही हर चौराहे पर सड़क पार करने के लिये अलग सिग्नल भी थे ।आपको
यदि सड़क पार करनी है तो चौराहे पर खंभे पर लगे बटन को दबाओ और आपका सिग्नल होने पर
सड़क पार करो ।पैदल व्यक्ति जब सड़क पार करता है तो सभी वाहन तुरंत ही रुक जाते हैं
।यह बहुत ही अच्छी व्यवस्था है ।दो पहिया वाहन यहाँ दिखाई नहीं दिये ।क्योंकि यहाँ
पर सर्दी अधिक रहती है इसलिए बड़ी बड़ी कार ही अधिक हैं।जो बहुत ही तेज रफ़्तार से
चलती हैं । सड़क चौड़ी ,साफ़ एवं एकतरफ़ा यातायात ही है ।शहर के बीच में भी चार और
छ: लेन के सड़कें देखी जा सकती हैं।हर तरफ़ हरियाली ,तरह तरह के फूल तो हैं ही
लेकिन उन्हें सही तरह से विकसित करना और सफ़ाई वास्तव में प्रसंशनीय है । दिन में
कुछ घरेलू सामान सब्ज़ी आदि लेने के लिए बेटे के साथ कार से एक स्टोर पर गए तो वहाँ
देखा सब व्यवस्थित था ।यहाँ सेल्फ सर्विस थी ।हालाँकि आजकल भारत में भी बहुत से
बड़े बड़े स्टोर पर सेल्फ सर्विस है ।सामान लेने से बिल का पेमेंट करने तक की यह
सारी प्रक्रिया मैंने ध्यान से देखी लेकिन उनकी अंग्रजी भाषा समझ में कम ही आई ।
शाम को मैं अकेले ही सड़कों पर निकाल गया ।सड़क पर चलने के नियम सिग्नल , सड़क पार
करने के विषय में जानकारी मिल ही गई थी ,इसलिए बिना किसी से बताये मैं बाहर निकल
गया ।यहाँ सभी चौराहे , सड़कें एक जैसे ही थे । उनकी पहचान थी केवल वहाँ लिखे
स्ट्रीट नम्बर से ।जो कि मैंने सुबह ही चलते चलते ध्यान से नोट किया था ।मैं सुबह
जिस रास्ते से पार्क तक गया वहाँ तक वैसे ही गया लेकिन वापसी के लिए मेरी आदत है
नया रास्ता खोजने की ,इसलिए जहाँ से दिन में घरेलू सामान लिया उस सड़क से वापस जाने
का विचार आया तो मैं उस तरफ़ मुड गया कि देखते हैं रास्ता मिलता है या नहीं? मैंने
सोच लिया था कि रास्ता नहीं भी मिलेगा तो वापस जिस रास्ते से आया हूँ उसी से वापस
चला जाऊँगा ।लेकिन घूमते हुए घर पहुँच ही गया ।लगभग चार किलोमीटर का सायं क़ालीन
भ्रमण हो गया । परंतु घर पहुँचा तो सभी चिंतित थे कि मैं कहाँ निकल गया ?अंजान जगह
थी मोबाइल भी मेरे पास नहीं था ।इसलिए सभी सोच रहे थे कि कहीं गुम हो गया तो वापस
कैसे पहुँच पाऊँगा।ऐसी ही चिंता जब बच्चे छोटे होते हैं तो माँ बाप को होती है । अब
अगली सुबह से दैनिक भ्रमण ,रनिंग का हमने निश्चय किया । इसके लिए पार्क का रास्ता
देख ही लिया था ।इसलिए सुबह लगभग साढ़े छ:बजे श्रीमती के साथ हम निकले तो बाहर का
तापमान लगभग सात डिग्री था । अप्रैल के अंतिम सप्ताह में भारत में गर्मी शुरू हो
जाती है यहाँ भी अब गर्मी का मौसम है लेकिन यहाँ दिन का अधिकतम तापमान पंद्रह -
सोलह तक ही था ।पार्क में पहुँच कर पाँच किलोमीटर रनिंग कर थोड़ी देर व्यायाम किया
तो शरीर में कुछ गर्मी आयी । पसीना भी आया ।घर वापसी में लगभग पौने आठ बज गए थे तो
देखा कि बेटे और बहू हमें ढूँढने के लिये निकलने वाले थे ।उन्होंने सोच लिया था कि
हम कहीं रास्ता भूल कर इधर उधर भटक रहें हैं ।उन्होंने फ़ोन भी किया लेकिन हमने
सुना नहीं । भारत से चलते समय मैंने मेरे मोबाइल की सिम इंटरनेशनल रोमिंग करा ली थी
फिर भी घंटी नहीं सुनी इसलिए वे चिंतित थे।हालाँकि भारत में भी हम प्रातःभ्रमण और
व्यायाम में लगभग डेढ़ से दो घंटे तक का ही समय लगाते हैं। लेकिन नया शहर , अंजान
देश और लोगों के बीच बच्चों का चिंतित होना भी स्वाभाविक था ।घर पहुँचने पर
उन्होंने इत्मीनान की साँस ली और घोषणा हो गई कि आज यहाँ की एक नई सिम मोबाइल में
डाली जाएगी ताकि घर बाहर निकलने पर सम्पर्क किया जा सके ।मेरी आदत ही इधर उधर भागने
की अधिक है इसलिए मुझे शाम को ही नई सिम दिलाई गई ।नई ई सिम जो केवल वर्चुअल थी
।मोबाइल डालने की आवश्यकता नहीं पड़ी ।तुरन्त ही सिम चालू हो गई ,बिना किसी इंतज़ार
के ।श्रीमती तो वैसे भी बाहर जायेगी तो मेरे साथ ही रहेगी ,क्योंकि वो तो अकेले घर
से बाहर जाती नहीं। कोटा में भी हम जहां भी जाते हैं प्राय :साथ ही जाते हैं। जब
छोटा बच्चा चलने लगता है तो माँ उसके पैर में घुँघरू वाली पायजेब पहना देती है ताकि
उसकी छमछम की आवाज़ से बच्चे का ध्यान रहता था कि वह किधर है ।लेकिन अब बच्चों ने
हमें ढूँढने के लिये मोबाइल और अन्य डिवाइस का तरीक़ा खोज लिया है । हमारे शरीर को
यहाँ के माहोल में ढलने और व्यवस्थित होने में लगभग दो दिन लग गए ।क्योंकि दिन में
नींद आना और रात को जागने के क्रम में परिवर्तन लाने के लिये कोशिश रहती कि दिन में
नहीं सोया जाये ।आम भाषा में इसे जेटलैक कहते हैं।जिस समय भारत में दिन रहता है तब
अमेरिका में रात रहती है।सिएटल का समय भारत के समय से लगभग साढ़े ग्यारह घण्टे पीछे
है।लेकिन दो दिन बाद से ही हमने अपने नियमित दैनिक कार्यक्रम को प्रारम्भ कर दिया
।सुबह के लिए डाउन टाउन पार्क बहुत अच्छी जगह है ।हम सुबह लगभग छ: बजे पार्क में
चले जाते जो कि एक किलोमीटर की दूरी पर ही है। वहाँ आराम से रनिंग और फिर अन्य
व्यायाम भी हो जाता है ।सुबह के समय ठंड के कारण यहाँ कम ही लोग नज़र आते
थे।क्योंकि सुबह का यहाँ का तापमान लगभग छ : से आठ डिग्री ही रहता है। दिन में
ज़रूर अभी चौदह से सोलह डिग्री तक हो जाता है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
दिल का हो गया ट्रेफिक जाम
दिल का हो गया ट्रेफिक जाम (मेरी पहली हॉस्पिटल यात्रा और वह भी दिल के रोग के कारण ) ———————- दिसम्बर माह में जैसे ही सर्दी की शु...
No comments:
Post a Comment