Wednesday 3 May 2023

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका) 2

————————————————————————————————— (2) अमेरिका के लिए रवानगी ————————————————————————————————— अब वह घड़ी आ ही गई जब हमने रवानगी ले ही ली , अमेरिका के लिए । बेटा और बहु दोनों ही रात को हमें लेकर 12:15 am पर छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर रवाना हुए । मुम्बई में आधी रात की भी काफ़ी ट्रेफ़िक था । मात्र 19 km में की दूरी 45 मिनिट से अधिक समय में तय हुई । फिर भी रात को एक बजे हवाई अड्डे पर पहुँच ही गये और वहाँ हमने अपने सूटकेस लगेज में बुक कराये फिर सिक्योरिटी जाँच और इमीग्रेशन की लाइन में लग गये ।इमिग्रेशन अधिकारी द्वारा अमेरिका कारण , कितने दिन रहोगे,कहाँ रहोगे आदि सवाल किए ,पासपोर्ट और वीज़ा चेक किया।इस सारी प्रक्रिया के बाद लगभग 2:45 am पर फ़्री हुए तो कुछ राहत मिली कि चलो एक बाधा तो पार हुई । ।तीन बजे निश्चित गेट तक पहुँच कर बैठे । आधा घंटे बाद ही बोर्डिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई । फ़्लाइट में बैठ कर लगा कि चलो अब दुबई तक पहुँचाना तो निश्चित ही है ।हमारी एमिराइट्स की फ़्लाइट थी यह डोमेस्टिक फ़्लाइट की अपेक्षा काफ़ी बड़ा हवाई जहाज़ था । अंदर दो मंज़िला था । हमारी सीट नीचे ही थी। सीट के ही टीवी स्क्रीन था ।कंबल ,ईयर फोन सीट पर ही रखा था ।हमारी फ्लाइट समय 4:30am भारतीय अनुसार मुम्बई से रवाना हो गई थी और ठीक समय पर फ़्लाइट दुबई पहुँच गई । वहाँ के समय के अनुसार सुबह के 6:30am बजे थे । जबकि भारतीय समय के अनुसार सुबह के साढ़े सात बजे थे । हमारा सामान हमने मुम्बई लगेज में बुक कराया था हमें उसकी चिंता नहीं थी क्योंकि हमें बताया गया था कि सामान दूसरी फ्लाइट में पहुँच जाएगा ।लेकिन हमें अब दूसरी फ्लाइट ,जो कि एमिराइट्स की ही थी,तक पहुँचाना था । फ्लाइट नंबर KE0229 से हमें दुबई से सिएटल (अमेरिका) तक जाना था ।यह लगभग साढ़े चौदह घंटे का सफ़र था ।अब अपनी फ़्लाइट के लिए गेट नंबर B28 ढूँढना था ।यहाँ का एयरपोर्ट काफ़ी बड़ा था ।एयरपोर्ट पर विभिन्न कंपनियों के शोरूम भी थे और खानपान की भी बड़ी दुकानें भी ।चारों ओर दिशा सूचक लगे थे जिससे हम आराम से निश्चित गेट पर हम पहुँच गए। लेकिन वहाँ तक पहुँचने पूर्व एक बार फिर हमें सिक्योरिटी जाँच से गुजरना पड़ा । कुछ देर बाद श्रीमती को लगा कि कुछ चाय ,कॉफ़ी हो जाय। लेकिन समस्या थी कि हमारे पास वहाँ की मुद्रा नहीं थी । हमने कुछ राशि के डॉलर लिए तो उसने डालर के साथ पाँच दीनार और कुछ सिक्के दिये । चाय कॉफी की तलाश की परंतु हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें और कैसे करें ।हम वापस श्रीमती जी के पास पहुँचे क्योंकि हमें दूध वाली चाय काफ़ी नहीं मिल पा रही है , इसलिए क्यों न हम दोनों ही मिलकर तलाश करें ।इस बीच हमें सूचना मिली कि हमारी फ़्लाइट गेट नंबर B 26से रवाना होगी।हम तुरन्त गेट नम्बर B26 पर पहुँच गये।बैग वहाँ रखा और एक फिर हम दोनों ने चाय की तलाश शुरू की तो एक स्टाल मिल गई जहाँ दूध वाली चाय उपलब्ध थी । हमने चाय का ऑर्डर किया तो उसने चालीस दीनार की दो चाय बताई । मेरे पास पाँच दीनार थी और डॉलर भी थे लेकिन दुकानदार ने बताया कि डॉलर में भुगतान तो हो जाएगा लेकिन खुले पैसे वापसी हमें दीनार में मिलेंगे । परंतु दीनार का हम भला क्या करते । इसलिए 35 दीनार कार्ड से दी और पाँच दीनार नगद दे कर चाय का भुगतान किया । चाय के बाद जैसे ही हम वापस अपने निश्चित गेट पर पहुँचे तो वहाँ पर सिक्योरिटी चेकिंग चालू हो चुकी थी । एक बार फिर चेकिंग के दौर से गुजर कर फ़्लाइट की इंतज़ार में बैठ गए । थोड़ी देर बाद यह इंतज़ार भी समाप्त हो गया और हम हमारी फ़्लाइट EK 0229 में पहुँच गये । अब लगा कि अमेरिका में पहुँचने की सभी बाधायें अब समाप्त हुई । अब तो पहुँच ही जाएँगे । लेकिन मालूम हुआ कि अभी वहाँ पहुँचने पर एक बार पुन: इमिग्रेशन होगा । फाइनल जाँच के बाद ही अमेरिका हम एयरपोर्ट से बाहर जा सकेंगे । अपनी सीट पर पहुँच कर बैग सही से जमाये और चारों और अच्छी तरह मुआयना कर हम सीट पर बैठ गये ।सीट बेल्ट लगाई और सामने लगे टीवी को चलाने की प्रक्रिया देखी , समझी और कानों में ईयर फ़ोन लगाकर बैठ गए । हमारे सफ़र की सभी जानकारी टीवी स्क्रीन पर थी।दुबई से सिएटल का समय 14:30 घण्टे का लगने वाला था दूरी लगभग 19000km थी । अब साढ़े चौदह घंटे का सफ़र एक ही सीट पर करना था । जो वास्तव में चुनौती तो थी ही क्योंकि रेल यात्रा में तो आप स्टेशन पर उतर सकते हैं। सीट पर लेट सकते हैं।लेकिन यहाँ तो बैठे बैठे ही समय गुज़ारना था ।थोड़ी देर बाद ख़ाना आ गया ,फिर चाय कॉफ़ी, शाम का खाना आदि सभी सीट पर ही चलता रहा ।फ्लाइट में वेज , नोन वेज खाने साथ ही वाइन ,कोल्ड ड्रिंक आदि भी उपलब्ध थी ।हमारा वेज भोजन बुक था इसलिए खाना लेते समय भी हमने पूर्ण संतुष्टि कर ली कि खाना वेजीटेरियन ही है ।अब विमान में साढ़े चौदह घंटे गुजारने के लिए टीवी का सहारा लिया । कभी टीवी पर हिन्दी फ़िल्म , कभी गाने सुनकर तो कभी अपने विमान की स्थिति देख कर समय व्यतीत करते रहे । बीच -बीच में कुछ गेम भी खेलते रहे ।विमान में वाईफ़ाई था जिससे मोबाइल पर ह्वाट्सऐप मेसेज भेजे व प्राप्त किए जा सकते थे ।बीच बीच में बैठे बैठे ही थोड़ी झपकी भी ली ।सोने लिए आँखों पर बाँधने की पट्टी और कम्बल भी सभी को दिया गाया था ।कुछ लोग आराम सोये भी होंगे ।लेकिन हमें बार बार यही ख़्याल आता रहा कि साढ़ेचोदह घंटे एक सीट पर बैठ कर कैसे व्यतीत होंगे ।फिर धीरे- धीरे हम वतन से दूर जाते जा रहे थे और अमेरिका पहुँचाने का समय नज़दीक आता जा रहा था ।रास्ते में कहीं रात का अंधेरा नहीं हुआ इसलिए सभी विमान की खिड़कियाँ बंद कर ली थी जिससे रात्रि का आभास हो था। अमेरिका में सिएटल का समय भारतीय समय से लगभग साढ़े ग्यारह घंटे पीछे है ।इसलिए २४ अप्रैल को भारत से रवाना होने के बाद भी सिएटल के समय अनुसार २४ की दोपहर को यहाँ पहुँच थे । अब धीरे धीरे साढ़े चौदह घंटे भी समाप्ति पर थे । हमने ह्वाट्सऐप पर सूचना दे दी कि हम सिएटल पहुँचने वाले हैं। हमें भी बेटे गगन और बहु का मेसेज आ गया कि वे भी एयरपोर्ट पहुँच रहे हैं। सिएटल ( अमेरिका ) हमारा विमान सही समय पर पहुँच गया । सिएटल के समय के अनुसार लगभग दोपहर के डेढ़ बजे थे । विमान से उतरने के बाद अपने सूटकेस आने के लिए लगभग आधा घंटे हमें इंतज़ार करना पड़ा ,और फिर सभी सामान लेकर एक बार पुन: जाँच की लाइन शुरू हो गई । हम भी जाँच के लाइन में लग गए ।यहाँ भी कई खिड़कियाँ बनी थी जिनपर अमेरिकी अधिकारी बैठे थे और सभी आने वालों से पूछ ताछ कर रहे थे ।फाइनल इमिग्रेशन के लिए लगभग आधा घंटे इंतज़ार के बाद हमारा नम्बर आया तो उपस्थित अधिकारी ने हमसे अमेरिका आने का कारण पूछा और कितने दिन रहोगे यह भी पूछा ।कुछ भी किसी व्यक्ति के विषय यदि उन्हें संदिग्ध लगता तो उसे सामान सहित अलग ले जा कर उसकी जाँच भी की जा रही थी।सब प्रक्रिया पूरी होने पर जैसे ही मुख्य गेट से निकले तो बेटा और बहू दोनों ही गेट पर बड़े उत्साह से मिले । सबसे बड़ी संतुष्टि उन्हें इस बात की थी कि हमने सफलता से यह यात्रा पूरी कर ली थी । जब बच्चे पढ़ने के लिए बाहर जाते थे तो जैसी चिंता हमें बच्चों की रहती थी आज वैसी ही चिंता और बेताबी बच्चों के चेहरों पर हमारे प्रति देख कर लगा कि अब बच्चे तो बड़े हो गये लेकिन हम अब उनके लिये बच्चों की तरह हो गये हैं, जो कि प्रत्येक माता पिता लिए संतोष का विषय है ।हमारे हवाई जहाज़ में इंटरनेट होने से मुम्बई से छोटे बेटा तो सिएटल से बड़े बेटा दोनों ही पूरे रास्ते ,मुम्बई से सिएटल तक मेसेज से संपर्क में बने रहे ।शायद दोनों को ही हमारी यात्रा की चिंता रही होगी ।

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