Friday, 30 June 2023

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका ) 9

प्रथम विदेश यात्रा (अमेरिका)9 द स्फेयर्स the sphere स्नोक्वेलमिन वैली ,ऑर्का रनिंग (Snoqualmie valley,orca running)और इण्डियन मेला ————————————————————————————
23 जून की शाम को को सिएटल जाने का कार्यक्रम बना ।वहाँ पर Amazon का मुख्यालय है जहाँ पर ‘The spheres’ काँच की तीन गोलाकार आकृति हैं जिसमें विविध तरह के पेड़ पौधे लगे हैं ।यह Amazon मुख्यालय बिल्डिंग के परिसर में ही स्थित है ।माह के प्रथम और तीसरे शनिवार को फ़्री रजिस्ट्रेशन करके यहाँ देखने के लिए कोई भी आ सकता है। आमेजन के कर्मचारियों के लिए बिन रजिस्ट्रेशन कराये ही प्रवेश मिल जाता है ,लेकिन कड़ी सुरक्षा जाँच के बाद विज़िटर कार्ड जारी किया जाता है ।हम बेटे के साथ गए थे जो कि आमेजन में ही कार्यरत है ।
इस स्फेयर्स में जैसे ही हमने प्रवेश किया ,तो बाहर से जो काँच की आकृति के तीन अलग अलग आकार के बड़े गोले नज़र आ रहे थे उसके अन्दर चारों और हरियाली ही हरियाली है।यहाँ पर लगभग 30 देशों के 40000 पेड़ पौधे उपलब्ध हैं।इस स्फेयर्स का क्षेत्रफल 58828 वर्ग फीट है ।इसके अन्दर ही तरह तरह के पेड़ पौधों के अतिरिक्त एक रेस्टोरेंट और जगह जगह बैठने का स्थान भी है।टेबल कुर्सी भी लगी हैं।आमेजन के लोग यहाँ पर बैठकर ऑफिस का कार्य भी कर सकते हैं।प्रकृति के बीच कार्य करने की सुविधा का कुछ लोग आनंद भी ले रहे थे ।यह अन्दर से तीन मंज़िली खूबसूरत बिल्डिंग है ।इसमें लगे हुए पेड़ और हरियाली कुछ rainforest की तरह से है ।इसके आस-पास ,चारों तरफ़ बड़ी बड़ी ऊँची बिल्डिंग बनी हैं ।बाहर देखने पर बिल्कुल भी आभास नहीं होता कि तीन विविध आकार के काँच के गोलों के अंदर प्रकृति का इतना बड़ा ख़ज़ाना है । दूसरे दिन शनिवार को स्नोक्वलमिन वैली (Snoqualmie vellay ) में orca (ऑर्का )रनिंग का आयोजन था ।अब भारत में तो दस किलोमीटर से 42 किलोमीटर मैराथन तक की रनिंग में हिस्सा ले चुका था।अब सोचा चलो एक बार अमेरिका में भी रनिंग के इवेंट का अनुभव ले लिया जाये ।यूँ तो प्रातः कुछ रनिंग हम यहाँ भी कर ही रहे थे ,लेकिन किसी आयोजन में भाग लेने का मौक़ा मिला तो हम सभी ने दस किलोमीटर की रनिंग में रजिस्ट्रेशन करा लिया ।सोचा चलो यहाँ बड़े बेटे और बहु के साथ भी रनिंग कर लेते हैं।इससे पहले मुंबई में छोटे बेटे बहु के साथ भी रनिंग में हम हिस्सा ले चुके हैं।अब 24 जून की सुबह लगभग 7 बजे हम चारों ,बेटा बहू और मैं,श्रीमती सहित हम घर से रनिंग के लिए रवाना हो गये।घर से स्नोक्वलमिन वैली लगभग पैंतालीस मिनिट में हम पहुँच गये ।यहाँ पहुँच कर बिब और टी शर्ट ली । हमारी दौड़ शुरू होने में अभी काफ़ी समय था ।साढ़े आठ बजे हाफ मैराथन शुरू होने का समय था।उसके आधा घंटे बाद नो बजे दस किलोमीटर की दौड़ शुरू होनी थी ।
आज यहाँ मौसम ठंडा था ,लगभग 14 डिग्री तापमान के साथ ही ठंडी हवायें भी चल रही थी ।सूर्य देव भी बदलों में छिपे थे । धूप नहीं होने से ठंडक अहसास कुछ अधिक हो रहा था ।यहाँ आसपास चारों और हरियाली ,ऊँचे ऊँचे पेड़ ,बड़ा ही अच्छा लग रहा था । तभी हमने वहाँ एक हिरण भी देखा जो आराम से हरी-हरी घास में विचरण कर रहा था ।कई बार वह वहाँ इकट्ठे लोगों की ओर भी देखता और हरी हरी घास आनन्द लेने लग जाता ।जैसे कह रहा हमेरे एरिये में इतने सारे लोगों का क्या काम ? या सोच रहा होगा कि ये मानव प्रजाति मेरा चारा हज़म करने तो नहीं आ गये।ठीक साढ़े आठ बजे 21 km की रनिंग शुरू हो गई थी ।इस बीच अन्य लोगों की तरह हम भी धुरंधर धावक की तरह थोड़ा व्यायाम करने लगे ताकि शरीर में कुछ गर्माहट आये ।अब नो बजते ही हमारी दौड़ भी प्रारम्भ हो गई ।इस दौड के रास्ते में ऊँचे -ऊँचे पेड़ों के बीच कुछ दूर तक लगभग डेढ़ किलोमीटर तो पक्की सड़क थी लेकिन उसके बाद खेतों और घने जंगल के बीच में कच्चा पथरीला रास्ता था ।लगभग एक किलोमीटर तक नदी के किनारे रास्ता बना हुआ था ,जिसमें पानी की तेज धारा बह रही थी और पानी बहने की कल कल आवाज़ भी बड़ी ज़ोर से सुनाई दे रही थी ।उसके बाद शुरू हुआ सुनसान घना जंगल ,जिसकी शांति भंग करते हुए हम दौड़ रहे थे ।इस दौड़ में युवा से लेकर वृद्ध महिला पुरुष तक बड़े ही उत्साह से दौड़ रहे थे ।रास्ते में जगह जगह कुछ वालंटियर सभी धावकों का उत्साह वर्धन कर रहे थे । पाँच किलोमीटर के बाद उसी रास्ते से हमें वापस आना था और दौड़ शुरू होने वाले स्थान पर ही वापस पहुँचाना था ।
हम चारों ने ही बड़े आराम से इस रनिंग को पूरा किया और अपना-अपना सर्व श्रेष्ठ समय निकाला ।हम सभी केवल शौक़िया ही दौड़ रहे थे एक नया अनुभव प्राप्त करने के लिएऔर सभी ने प्रकृति के सौंदर्य का आनन्द लेते हुए आशाओं के विपरीत बहुत बहतर प्रदर्शन किया ।रनिंग के बाद सभी को पुरस्कार स्वरूप छोटा सा लकड़ी का गमला और पौधों के बीज का एक पैकेट दिया ,जो यह संदेश रहा था कि इस धरती को हरा भरा रखने में हम भी अपना सहयोग दें।पास ही नाश्ते और शीतल पेय के स्टाल पर सभी नाश्ता किया और कुछ देर बाद हम घर की ओर रवाना हो गये । आज ही शाम को इण्डियन मेले का भी एक आयोजन था ।अब अमेरिका में इण्डियन मेला सुनकर देखने की भी इच्छा हुई ।यह मेला शाम चार बजे से रात्रि नो बजे तक था । हम लगभग आठ बजे वहाँ पहुँचे तो कार पार्किंग के लिए बड़ी मुश्किल से जगह मिल पाई ।जैसे ही मेले में प्रवेश किया तो लग ही नहीं रहा था कि हम अमेरिका में हैं।वहाँ इण्डियन के अतिरिक्त अन्य देशों के लोग भी बड़े उत्साह से मेले का आनन्द ले रहे थे ।यहाँ अमेरिका में भारत अतिरिक्त चीन,पाकिस्तान ,जापान आदि बहुत देशों के लोग कार्यरत हैं।मेला स्थल के बीच में एक मंच पर भारतीय फ़िल्मी संगीत पर रंग बिरंगी पोशाक में लोग नृत्य का आनन्द ले रहे थे ।बाद में भारतीय फ़िल्मी संगीत पर सभी को डांस के लिए आमंत्रित करते ही सभी उम्र के महिला ,पुरुष और बच्चे मंच के सामने आ गये और जी भर कर सभी ने आनन्द लिया ।हम सभी ने भी इस भीड़ का हिस्सा बनके पूरा मज़ा लिया ।वहाँ लगी दुकानों में ,सभी तरह की भारतीय वस्तुयें जो भारत में मिलाती हैं ,जैसे साड़ी ,कुर्ता ,सलवार ,महिलाओं के लिए विविध सामग्री के साथ ही भारतीय मेलों की ही तरह उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक के व्यंजन तक वहाँ मौजूद थे ।हमने भी उत्तर से दक्षिण तक के विविध व्यंजनों का स्वाद चखा ।वास्तव में आज का संपूर्ण दिन एक यादगार दिन रहा ।एक साथ भारत के इतने सारे लोगों के देख के लग रहा था जैसे हम भारत के ही किसी मेले में खड़े हैं।बस यहाँ केवल एक बात भारत के मेलों से अलग लगी और वह है यहाँ पर लोगों का स्वप्रेरित अनुशासन ।खानपान की हर दुकान के आगे लाइन में खड़े लोग बड़े शांत भाव से खड़े ,अपनी बारी आने का इंतज़ार करते मिले जबकि भारत में बिना किसी लाइन के हम एक दूसरे को धकेल कर सबसे आगे निकल जाने की कोशिश करते रहते हैं।भारत जैसा धक्का- मुक्की वाला मेला यहाँ नहीं था ।सब शांति से व्यवस्थित होकर दुकानों के सामने खड़े थे ।

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